13 जून 2023 को महाराष्ट्र के सभी प्रमुख अखबारों में फुल पेज विज्ञापन छपा। इसमें एक सर्वे के हवाले से बताया गया कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के मुकाबले शिंदे ज्यादा लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। इस विज्ञापन में न ही फडणवीस का फोटो था और न बाला साहब ठाकरे का। विज्ञापन की टैगलाइन थी- देश के लिए मोदी और महाराष्ट्र के लिए शिंदे।
शिंदे गुट ने खुद को इस विज्ञापन से अलग करने की कोशिश की। उनका कहना था कि पार्टी के शुभचिंतक ने यह विज्ञापन छपवाया है। दोनों पार्टियों के बीच भीतरखाने तनाव हुआ और उसे सुलझा भी लिया गया, लेकिन माना जाता है कि फडणवीस को यह साफ हो गया कि एकनाथ शिंदे आसानी से उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ेंगे।
इसके बाद सीन में एंट्री होती है अजित पवार की, जिससे शिंदे खेमा बेचैन है। एक तरफ शिंदे कह रहे हैं कि महाराष्ट्र की डबल इंजन सरकार अब ट्रिपल इंजन हो गई है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी बैठक कर रही है और मंत्री बनने का सपना संजोए शिवसेना के कुछ नेता नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 145 है। BJP, शिंदे की शिवसेना और कुछ अन्य छोटे-छोटे दलों को मिलाकर 166 विधायक थे। यानी सरकार कंफर्टेबल मेजॉरिटी से चल रही थी।
इसी बीच 3 जुलाई 2023 को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। उनके 8 विधायकों को मंत्री बनाया गया। संख्या की जरूरत न होते हुए भी अजित पवार को शामिल करने से ही शिंदे खेमे में बेचैनी बढ़ गई है।
BJP ने अक्टूबर 2022 में अंधेरी ईस्ट के उपचुनाव में शुरू में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले सेना गुट के कैंडिडेट रुतुजा लटके के खिलाफ मुर्जी पटेल को मैदान में उतारा था। हालांकि, जब BJP को लगा कि वह मुकाबला नहीं जीत सकती, तो उसने अपना कैंडिडेट वापस ले लिया।
इस साल फरवरी में महाविकास अघाड़ी ने शिंदे गुट और BJP को झटका देते हुए विधान परिषद चुनावों में पांच में से तीन सीटें जीत लीं। साथ ही महत्वपूर्ण नागपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में और अमरावती स्नातक निर्वाचन क्षेत्र में BJP को हार का सामना करना पड़ा।
नागपुर और अमरावती में मिली हार चौंकाने वाली है। यह दोनों सीटें RSS और महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस का गढ़ मानी जाती हैं। साथ ही इन चुनावों में शिंदे शिवसेना कोई असर नहीं छोड़ सकी।
मार्च 2023 में पुणे की कस्बा पेठ और पिंपरी-चिंचवड़ विधानसभा सीट में कस्बा पेठ में BJP 30 साल बाद चुनाव हार गई। यह BJP के लिए बड़ा झटका था।
इसी बीच मई में महाराष्ट्र के प्रमुख मीडिया हाउस सकाल टाइम्स ने विधानसभा चुनाव को लेकर एक सर्वे किया। इसमें NDA महाविकास अघाड़ी के मुकाबले 8% वोटों से पीछे थी।
यहां से BJP को लगने लगा कि एकनाथ शिंदे भले ही अपने साथ 39 शिवसेना विधायकों को ले आए, मगर सबसे जरूरी यानी शिवसैनिकों को BJP में शिफ्ट करने में नाकाम रहे हैं। यही वजह है कि महाराष्ट्र सरकार 200 नगर पालिका और 23 नगर निगमों के चुनावों को एक साल से टाल रही है।
13 जून को महाराष्ट्र के सभी प्रमुख अखबारों में छपे फुल पेज विज्ञापन का जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं। इससे फडणवीस को यह साफ हो गया का कि एकनाथ शिंदे आसानी से उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ेंगे। माना जा रहा है कि विधानसभा में संख्या लिहाज से जरूरत न होते हुए भी BJP ने शिंदे गुट के तेवरों को कंट्रोल में रखने के लिए अजित पवार और उनके 9 समर्थक विधायकों को मंत्री बनाया है।
एकनाथ शिंदे को कंट्रोल करने के लिए BJP के पास एक और हथियार है। महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर BJP विधायक हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक नार्वेकर को ही CM शिंदे समेत उनके 16 विधायकों की अयोग्यता का फैसला करना है।
राजनीतिक के लिहाज से यह एकदम साफ है कि राहुल किसके पक्ष में फैसला सुनाएंगे, लेकिन अगर एकनाथ शिंदे ताकत दिखाने की कोशिश की तो तस्वीर उलट भी सकती है। इस स्थिति में फडणवीस मजबूत होंगे और शिंदे शिवसेना किसी फैसले का विरोध नहीं कर पाएगी।
अजित पवार के बयान से यह साफ है कि मौका मिलते ही वह CM पद के लिए दावा करेंगे। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण और उद्धव शिवसेना के नेता संजय राउत ने दावा किया है कि BJP ने अजित पवार को CM बनाने का वादा किया है। इसके बाद ही अजित सरकार में शामिल हुए हैं।
उम्मीद है कि महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर 10 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर शिंदे समेत 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाएंगे। न्यूज वेबसाइट Rediff.com ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना तय है।
यूनाइटेड शिवसेना छोड़कर शिंदे के साथ आए करीब ढाई दर्जन विधायक एक साल से मंत्री बनने के इंतजार में हैं। बावजूद इसके एक साल से राज्य कैबिनेट का विस्तार नहीं किया गया। अब अचानक NCP के 9 नए मंत्रियों के शामिल होने के बाद राज्यमंत्री परिषद में केवल 14 मंत्रियों की जगह खाली हैं।
अब चुनौती यह है कि 14 मंत्री किसे बनाया जाए? BJP के अपने वफादारों को, उद्धव से बगावत करने वाले शिंदे गुट के विधायकों को या शरद से बगावत करने वाले NCP विधायकों को।
यही वजह है कि शिंदे शिवसेना के सभी मंत्रियों ने सोमवार सुबह CM शिंदे से ठाणे स्थित उनके निजी आवास पर मुलाकात की। इस दौरान कैबिनेट मंत्री उदय सामंत, गुलाबराव पाटिल, शंभूराज देसाई के साथ शिंदे गुट के नेता दादा भुसे, संदीपन भुमरे मौजूद थे।
सभी ने CM शिंदे के साथ एक संक्षिप्त बैठक की जिसमें उन्होंने विभागों के संभावित बंटवारे पर चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने अजित पवार और उनके वफादारों को सरकार में शामिल करने के फैसले पर भी नाराजगी जताने के साथ ही आगे की रणनीति तय करने में भी जुटी है।