राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर दावा ठोकने वाले अजीत पवार (Ajit Pawar) ने चुनाव आयोग (Election Commission) से कहा कि उनके चाचा शरद पवार (Sharad Pawar) ने ‘तानाशाह की तरह व्यवहार किया’ और पार्टी के कामकाज में ‘कभी भी लोकतांत्रिक सिद्धांतों का पालन नहीं किया.’ इसका खुलासा एनसीपी के वरिष्ठ नेता जितेंद्र अव्हाड़ ने किया. जो एनसीपी के नाम और चुनाव चिह्न पर किसका कब्जा होगा, यह तय करने के लिए चुनाव आयोग की सुनवाई में मौजूद थे. अजित पवार ने एनसीपी को विभाजित करने और भाजपा से हाथ मिलाने के लिए शरद पवार के खिलाफ बगावत की अगुवाई की थी. अजित पवार ने एनसीपी के 42 विधायकों, छह एमएलसी और 2 सांसदों के समर्थन का दावा किया.
महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता आव्हाड़ ने अजित पवार गुट पर एनसीपी के संस्थापक शरद पवार को धोखा देने और ‘असभ्य’ होने का आरोप लगाया. आव्हाड़ ने कहा कि ‘यह दुखद है कि जिस शख्स ने उन्हें पाला-पोसा और उनका विकास सुनिश्चित किया, उसे ऐसी चीजों का सामना करना पड़ रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस व्यक्ति ने 18 साल से अधिक समय तक सत्ता का आनंद लिया, उसे अपने वकीलों को शरद पवार के बारे में ऐसी टिप्पणी करने का निर्देश देना पड़ा.’ वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी शरद पवार की ओर से चुनाव आयोग के सामने पेश हुए, जो सुनवाई के लिए भी मौजूद थे.
सिंघवी ने कहा कि चुनाव आयोग के सामने अजित पवार खेमे ने जो दलीलें दीं वे काफी ‘दिलचस्प, आश्चर्यजनक और मेरे हिसाब से कानून में मौजूद ही नहीं’ थीं. सुनवाई के बाद उन्होंने कहा कि ‘वे संगठनात्मक परीक्षण नहीं चाहते हैं. वे जानते हैं कि राकांपा कैडर का 99 प्रतिशत बहुमत मेरे बगल में खड़े शख्स (शरद पवार) के साथ है.’ वहीं अजित पवार के वकील एनके कौल और मनिंदर सिंह ने अपनी दलील में कहा कि ‘उनके याचिकाकर्ता का कहना है कि उसे एनसीपी की संगठनात्मक शाखा के साथ-साथ विधायी शाखा में भी भारी समर्थन हासिल है और इसलिए वर्तमान याचिका को अनुमति दी जा सकती है.’
चुनाव आयोग की सुनवाई एक घंटे तक चली. सिंघवी ने कहा कि सुनवाई के पहले भाग में शरद पवार खेमे ने शुरुआती आपत्तियां उठाईं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक प्रारंभिक मुद्दे के रूप में यह तय करने के लिए बाध्य है कि कोई विवाद है या नहीं. सिंघवी ने कहा कि ‘आयोग ने हमारी बात सुनी लेकिन कहा कि वह इस स्तर पर फैसला नहीं करेगा. उस आवेदन पर हमें आजादी है, उस अस्वीकृति को हम चाहें तो अदालत में चुनौती दे सकते हैं. यह फैसला हम सामूहिक रूप से बाद में लेंगे.’ शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट ने हाल ही में चुनाव आयोग को बताया था कि पार्टी में कोई विवाद नहीं है, सिवाय इसके कि कुछ शरारती व्यक्ति अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए संगठन से अलग हो गए हैं.