वनडे और टी20 में उम्र बढ़ा रहीं मुश्किलें, रोहित शर्मा टेस्ट में टीम को दमदार बनाए रखने का चैलेंज

अपनी हिटिंग के दम पर प्रतिद्वंद्वी टीम को घुटनों पर लाने की क्षमता रखने वाले हिटमैन रोहित शर्मा के लिए अक्टूबर-नवंबर में होने वाला वर्ल्ड कप करियर का आखिरी वर्ल्ड कप हो सकता है। मुमकिन है कि इसके बाद वे किसी ICC टूर्नामेंट को जीतने का दावा पेश न कर पाएं। न सिर्फ बतौर कप्तान बल्कि बतौर खिलाड़ी भी 2023 वनडे वर्ल्ड कप रोहित का आखिरी ग्लोबल टूर्नामेंट हो सकता है।

तीन इंडिकेटर्स रोहित शर्मा के खिलाफ जाते दिख रहे हैं। उनके बचपन के कोच दिनेश लाड को भी ऐसा ही लगता है कि रोहित इस साल आखिरी बार वर्ल्ड कप में उतरने वाले हैं। क्या कहना है रोहित के कोच का और वे इंडिकेटर्स कौन-कौन से हैं यह हम स्टोरी में आगे जानते हैं।
2007 में आयरलैंड के खिलाफ वनडे मैच के जरिए इंटरनेशनल करियर का आगाज करने वाले रोहित 36 साल, 51 दिन के हो चुके हैं। अगले वनडे वर्ल्ड कप के समय उनकी उम्र 40 साल से ऊपर की होगी। इस उम्र तक महेंद्र सिंह धोनी भी टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाए। इसलिए तब तक रोहित का वनडे सेटअप में बने रहने की उम्मीद काफी कम है। लगभग न के बराबर। इसलिए इस फॉर्मेट के अगले वर्ल्ड कप (2027) मे रोहित नजर नहीं आते। वनडे में रोहित ने पिछले 5 सालों में बतौर बल्लेबाज कैसा परफॉर्म किया है यह अगली तस्वीर में देखा जा सकता है।
टीम इंडिया पिछले साल 10 नवंबर को टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में इंग्लैंड के हाथों 10 विकेट से हारी थी। हार इतनी करारी थी कि इसे कोई भारतीय फैन भूल नहीं पा रहा। याद रखने लायक एक बात यह भी है कि वह मुकाबला रोहित शर्मा का आखिरी टी-20 इंटरनेशनल मैच था। तब से वे भारत की टी-20 टीम से बाहर रहे हैं। इसके बाद से भारतीय टीम इस फॉर्मेट में 8 मैच खेल चुकी है। सिलेक्टर्स की ओर से कहा जा रहा है कि अगले साल टी-20 वर्ल्ड कप है और उसकी टीम तैयार की जा रही है।
टेस्ट क्रिकेट ऐसा फॉर्मेट है जिसमें रोहित का करियर दो-तीन साल और चल सकता है। यानी रोहित को WTC ट्रॉफी के लिए एक और मौका मिल सकता है। हालांकि, इसके लिए टीम को पहले फाइनल में पहुंचना होगा। भारतीय टेस्ट टीम में बदलाव का दौर शुरू होने वाला है लिहाजा अगले कुछ महीने प्रदर्शन डांवाडोल हो सकता है।
इसके अलावा भारत घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए गड्ढा पिचें बनवाना बंद भी कर सकता है। BCCI अधिकारियों और पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों में एक बड़ा तबका यह मानता है कि ऐसी पिचों से भारतीय क्रिकेट की छवि खराब हो रही है और हमारे खिलाड़ी बैटिंग करना भूल रहे हैं। अगर गड्ढा पिचें बनना बंद हो गई तो भारतीय टीम के लिए आसान पॉइंट्स का मिलना भी बंद हो जाएगा। इससे फाइनल की राह मुश्किल हो जाएगी। अगर फाइनल में नहीं पहुंचे तो वर्ल्ड कप जैसी कोई बात ही नहीं रहेगी
टेस्ट फॉर्मेट में वर्ल्ड कप खेलने का मतलब कोई टूर्नामेंट खेलना नहीं होता। वहां इसका मतलब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) का फाइनल खेलना होता है। कहने के लिए सभी टेस्ट सीरीज WTC का हिस्सा होती हैं लेकिन फाइनल ही अपने आप में पूरा टूर्नामेंट होता है। अगर WTC में शामिल किसी सीरीज में खेल लेना ही वर्ल्ड कप खेलना होता तब तो पाकिस्तान के कप्तान बाबर आजम या इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स भी यह टूर्नामेंट खेल चुके होते। लेकिन, ऐसा कोई मानता है क्या?