भाजपा के प्रमुख मुस्लिम चेहरों में शुमार मुख्तार अब्बास नकवी के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद पार्टी उन्हें अहम जिम्मेदारी दे सकती है। उनके लिए अभी बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं, जिसमें राज्यसभा में फिर से चुनकर आना, दो साल बाद लोकसभा चुनाव लड़ना या फिर संगठन में काम करना भी शामिल है। उन्हें राज्यपाल बनाए जाने की भी संभावना है। इसके अलावा अभी उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार भी घोषित होना है।
दरअसल, मुख्तार अब्बास नकवी के राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने और केंद्र सरकार के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद संसद में भाजपा के पास अब एक भी मुस्लिम सांसद और इस समुदाय का मंत्री नहीं है। ऐसे में भाजपा की भविष्य की रणनीति में नकवी को कोई न कोई अहम जिम्मेदारी जरूर दी जा सकती है। मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के पहले नकवी ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। पार्टी ने नकवी से फिलहाल इंतजार करने को कहा है। अब यह पार्टी पर निर्भर करेगा कि उनका किस तरह से उपयोग करना है।
नकवी अभी न केवल वरिष्ठ मंत्री थे, बल्कि राज्यसभा में पार्टी के उप नेता भी थे। इसी से उनके कद की अहमियत लगाई जा सकती है। भाजपा में आने के बाद वह युवा मोर्चा से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने तक लगातार पार्टी के संगठन और सरकार में अहम जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे और मोदी सरकार में भी। एक बार लोकसभा चुनाव जीते और तीन बार राजसभा के लिए चुने गए। संगठन में रहते हुए और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहने के दौरान भी नकवी लगातार मुस्लिमों के बीच सक्रिय रहे हैं।