हाईकोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान स्पीकर ने खटखटाया सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष ने हाईकोर्ट के 24 जुलाई के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बर्खास्त किए गए उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के नोटिस को यथावत कायम रखा है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी अपील में विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश प्रथमदृष्टया असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर उनके विशेषाधिकार का हनन है जो उन्हें संविधान की दसवीं अनुसूची से मिला है।

अधिवक्ता सुनील फर्नाडिस के जरिये दायर याचिका में दावा किया गया है कि हाईकोर्ट का आदेश विधानसभा की कार्यवाही में सीधा हस्तक्षेप है। संविधान के अनुच्छेद 212 के तहत यह प्रतिबंधित है। याचिका में कहा गया है कि यह आदेश गैरवाजिब और निराधार है। यथास्थिति कायम रखने के आदेश पारित करने की कोई वजह भी नहीं बताई गई हैउल्लेखनीय है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के पार्टी विधायकों की दो बैठकों में व्हिप जारी होने के बावजूद इन बागी विधायकों के शामिल नहीं होने पर शिकायत किए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विगत 14 जुलाई को इन विधायकों को नोटिस जारी किया था।

हाईकोर्ट ने अपना आदेश इन विधायकों की ओर से उन्हें अयोग्य घोषित करने के आदेश को चुनौती देने पर दिया था। हालांकि 24 जुलाई को हाई कोर्ट का इस मामले में विस्तृत अंतरिम आदेश आने के बाद जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली थी। सोमवार को स्पीकर सीपी जोशी की याचिका न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगी थी।

स्पीकर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने विस्तृत आदेश पारित किया है। अंतरिम आदेश हाई कोर्ट के विस्तृत अंतरिम आदेश में समाहितहै। ऐसे में कोर्ट उन्हें 24 जुलाई के आदेश के खिलाफ उचित उपाय अपनाने की छूट देते हुए यह याचिका वापस लेने की इजाजत दे। कोर्ट ने मांगी गई छूट देते हुए याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी थी। स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट को 24 जुलाई को आदेश देने से रोकने की भी मांग की थी लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने यह मांग नहीं मानी थी।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट का जो भी आदेश होगा वह सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन होगा। इतना ही नहीं उस दिन सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी बैठक में नहीं शामिल होने पर स्पीकर द्वारा विधायकों को अयोग्यता नोटिस दिए जाने पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की थी कि लोकतंत्र में विरोध का स्वर इस तरह नहीं दबाया जा सकता। वहीं हाई कोर्ट ने 24 जुलाई को विस्तृत अंतरिम आदेश में स्पीकर की ओर से याचिका पर उठाई गई प्रारंभिक आपत्तियां खारिज कर दी थीं। हाई कोर्ट ने 13 कानूनी प्रश्न तय करते हुए पक्षकारों से जवाब मांगा था।