चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान के बाद राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने नए गठबंधन में जाने का इशारा कर दिया है। अब यूपी की सियासत में जयंत चौधरी इंडिया गठबंधन से मोह त्याग कर एनडीए गठबंधन की तरफ बढ़ चुक हैं। माना जा रहा है की 12 फरवरी के आसपास एनडीए गठबंधन में शामिल होने का ऐलान बीजेपी के साथ कर देंगे।
जयंत चौधरी की एनडीए गठबंधन में शामिल होते ही यूपी में होने वाले 10 राज्यसभा सीटों के चुनाव में जीत और हार का समीकरण सीधे बदल जाएगा। नौ विधायकों वाले राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के सहयोग से BJP राज्यसभा की 8 सीटों पर कब्जा जमाने में सफल हो जाएगी।
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा की सीटों के लिए होने वाले चुनाव में RLD अहम भूमिका निभाएगी। फिलहाल BJP ने 9 फरवरी यानी गुरुवार को 10 राज्य सभा सीट के चुनाव का नामांकन पर्चा खरीद लिया है।
राज्यसभा सदस्यों में भाजपा से अनिल अग्रवाल, अशोक वाजपेयी, अनिल जैन, कांता कर्दम, सकलदीप राजभर, जीवीएल नरसिम्हा राव, विजय पाल तोमर, सुधांश त्रिवेदी, हरनाथ सिंह यादव शामिल हैं। तो वहीं सपा से जया बच्चन का नाम शामिल हैं। इनका कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को पूरा हो रहा है।
न्यूनतम वोट तय करने का जो फॉर्मूला है उनके अनुसार कुल विधायकों की संख्या में कुल खाली सीटों की संख्या से 1 जोड़कर भाग दिया जाता है। जो परिणाम आता है, उसमें 1 जोड़कर न्यूनतम कोरम तय किया जाता है। यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं।
इसमें 3 सीटें विधायकों के निधन और 1 सीट विधायक के अयोग्य घोषित होने के कारण रिक्त है। ऐसे में मौजूदा समय में 399 में 11 से भाग देने और एक जोड़ने के बाद 37.27 यानी एक सीट पर 38 वोट आ रहे हैं।
BJP गठबंधन के पास कुल (भाजपा : 252, अपना दल (एस) : 13, निषाद पार्टी : 6, सुभासपा : 6) 277 विधायक हैं। इनमें सुभासपा के एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में हैं। भाजपा को उनका वोट मिलने की संभावना वैसे भी नहीं है। तब भी संख्या 276 होती है।
इसके अलावा जनसत्ता दल के दोनों विधायक भी भाजपा के पाले में रहते हैं। लिहाजा, भाजपा के पास आसानी से 278 वोट हो रहे हैं। इससे उसकी 7 सीटें तय हैं। 10 वोट अतिरिक्त भी बच रहे हैं।
विपक्ष के लिहाज से देखें तो सपा के पास इस समय 108 और रालोद के पास 9 विधायक हैं। कांग्रेस भी गठबंधन का हिस्सा बनने में लगी है। इसलिए, उसके भी 2 वोट सपा के खाते में ही आने के आसार हैं। इस तरह से सपा गठबंधन के पास कुल 119 वोट हैं। ऐसे में 3 सीटें उसकी भी तय मानी जा रही हैं। पिछली बार उसे एक सीट मिली थी।
पक्ष-विपक्ष के संख्या बल को देखते हुए फिलहाल चुनाव की जगह निर्विरोध निर्वाचन की संभावना कम है। ऐसे में इंडिया गठबंधन से जयंत चौधरी का लगभग हटना तय हो गया है। फिर इंडिया गठबंधन को तीसरी सीट जितना अब मुश्किल हो जाएगा।
रालोद का एनडीए के पाले में जाते ही तो सपा गठबंधन के पास विधायकों की संख्या घटकर 110 हो जाएगी। सपा को अपना तीसरा उम्मीदवार जिताने के लिए 1 और विधायक की जरूरत होगी, जिसे तलाशना आसान नहीं होगा।
वहीं, रालोद को मिलाकर भाजपा के पास 29 अतिरिक्त वोट हो जाएंगे। अब अगर भाजपा अपना आठवां उम्मीदवार उतारती है तो फैसला दूसरी वरीयता के वोटों से होगा, जिसमें सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए संभावनाएं बढ़ जाएंगी।
विधानसभा के अंकगणित के हिसाब से दलों की जो तस्वीर दिखाई दे रही वह दिलों की भी हो, यह जरूरी नहीं है। इसलिए, चुनाव हुए तो कसौटी पर विधायकों की निष्ठा भी परखी जाएगी। 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़े दलों ने अपने सहयोगियों के सिंबल पर अपने चेहरों को चुनाव लड़ा दिया था। इनमें जीतकर आए चेहरों का झुकाव आज भी अपने मूल दलों के साथ है।
मसलन, रालोद के एक विधायक 2014 के लोकसभा में सपा के ही टिकट पर चौधरी अजित सिंह के खिलाफ चुनाव लड़े थे। वहीं, सुभासपा के विधायक अब्बास अंसारी जेल में हैं। इनको मतदान की अनुमति मिलना मुश्किल है। इसलिए, दलों की अंकगणित से अधिक पक्ष-विपक्ष से विधायकों की ‘केमिस्ट्री’ भी नतीजा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी। अपने लोगों को बिखरने से रोकने की चुनौती विपक्ष के सामने अधिक होगी।