आखिर भाजपा ने माधवराव को अपनाया , कांग्रेस ने निभाई औपचारिक्ता

राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने करीब सात माह पहले भाजपा का दामन थामा तो पार्टी ने उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया को भी अपना लिया है। बुधवार को माधवराव सिंधिया की 19वीं पुण्यतिथि पर भाजपा नेताओं ने उनकी समाधि पर सुबह पुष्पांजलि अर्पित की और शाम को भजन संध्या का आयोजन किया। वहीं, हर साल प्रभात फेरी निकालकर माधवराव की समाधि तक जाने वाले कांग्रेसियों ने यह रस्म तो निभाई, लेकिन वे समाधि तक नहीं गए। कांग्रेस कार्यालय से महज 200 मीटर दूर स्थित नदी गेट पर माधवराव की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर लौट गए।

मालूम हो, 2001 में एक विमान हादसे में माधवराव सिंधिया का निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। करीब 19 साल तक पार्टी में विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। मार्च 2020 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा तो पार्टी ने उनके पिता को भी भरपूर तवज्जो दी। अगस्त में भाजपा के महासदस्यता अभियान के मंच पर माधवराव सिंधिया की तस्वीर को पार्टी के पितृपुरूषों के समकक्ष रखा गया था।

बुधवार को सिंधिया की पुण्यतिथि पर भी सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, केंद्रीय मंत्री संजय धौत्रे आदि समाधि स्थल पहुंचे और पुष्पांजलि अर्पित की। कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल, रामवरण गुर्जर और रामसुंदर सिंह रामू ने समाधि पर भजन संध्या का आयोजन किया। इसमें भी बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता शामिल हुए।

भाजपा द्वारा पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित करने पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं ग्वालियर-चंबल के चुनाव प्रभारी केके मिश्रा का कहना है कि कांग्रेस दिल की राजनीति करती है और उसने स्व. माधवराव सिंधिया की पुण्यतिथि पर दिल से श्रद्धांजलि दी है। भाजपा दल की राजनीति करते हुए माधवराव सिंधिया के नाम का इस्तेमाल कर रही है। उधर, ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर में नहीं थे। इस पर भाजपा जिलाध्यक्ष कमल माखीजानी ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया काम को अधिक तवज्जो देते हैं। भोपाल में चुनाव समिति की महत्वपूर्ण बैठक थी, जिसमें उन्हें शामिल होना था, इसलिए वे नहीं आ सके। माधवराव सिंधिया दलगत राजनीति का विषय नहीं हैं। वे हमारे लिए राजमाता के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता भी हैं।