एक्टर विनीत सिंह डाॅक्टर बनने के बाद फिल्मों में आए, जानिए संघर्ष के पल

2017 में रिलीज हुई थी फिल्म मुक्केबाज। ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास नहीं चली लेकिन लीड एक्टर विनीत सिंह ने अपनी एक्टिंग से लोगों को बहुत लुभाया। विनीत एक्टर और राइटर से पहले एक डॉक्टर भी रह चुके हैं। नागपुर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से आयुर्वेद में एमडी करने वाले विनीत ने 21 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा था।
बचपन से वो एक एक्टर बनना चाहते थे लेकिन पापा मैथमेटिशियन थे, इसी वजह से वो चाहते थे कि विनीत भी ऐसे ही किसी फील्ड में अपना करियर बनाएं। उन्होंने मेडिकल लाइन का रास्ता तो चुन लिया, लेकिन खुद को एक्टिंग से दूर नहीं रख पाए। वो पापा और दूसरे घरवालों से छुपकर भाई-बहन के सामने घर में कुछ ना कुछ एक्ट किया करते थे। साथ ही अगल-अगल जगहों पर जाकर एक्टिंग देखकर सीखा करते थे।
मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही विनीत ने एक टैलेंट में पार्टिसिपेट किया और सिलेक्ट भी हो गए। इसी शो के जज डायरेक्टर महेश मांजरेकर उनके काम से काफी इम्प्रेस हुए और उन्हें फिल्म पिता के लिए कास्ट कर लिया। हालांकि पहली ही फिल्म फ्लाॅप रही जिसके बाद कुछ समय तक विनीत को फिल्मों के ऑफर नहीं मिले। निराशा हाथ लगने के बाद वो अपने घर वापस चले गए लेकिन गैंग्स ऑफ वासेपुर और मुक्केबाज जैसी फिल्में करने के बाद उन्होंने दोबारा मुड़कर कभी नहीं देखा।मेरा जन्म 28 अगस्त 1978 को उत्तर प्रदेश के बनारस में एक राजपूत परिवार में हुआ था। पापा मैथमेटिशियन थे और घर के सभी लोग एकेडमिक्स में ही रहे। बचपन से मेरा रुझान स्पोर्ट्स के तरफ बहुत ज्यादा था और मैं एक नेशनल लेवल का फुटबॉल प्लेयर हूं।
11-12 साल की उम्र से फिल्मों की तरफ मैं बहुत ज्यादा आकर्षित होने लगा था। इसी वजह से मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लेना चाहता था। लेकिन घरवालों इसके सख्त खिलाफ थे और उस समय समाज में भी फिल्मों में काम करना ठीक नहीं माना जाता था। मैंने भी ये आइडिया वहीं ड्रॉप कर दिया क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे बनारस से मुंबई तक का रास्ता तय करुं।
एक्टिंग से इतना लगाव इसलिए था कि जब भी काॅलेज में कोई कल्चरल प्रोग्राम होता था तो मुझे उसमें काम करना बहुत अच्छा लगता था। सोचता था कि कॉलेज में बस यही चीज होनी चाहिए और कुछ भी नहीं। कल्चरल प्रोग्राम के लिए मैं वेट करता था कि अगली बार ये कब शुरू होगा। जब भी मौका मिलता था कि तो मैं इन एक्ट करता था।घर में छोटी बहन (मुक्केबाज की को-राइटर) और छोटे भाई के सामने मैं परफॉर्म करता था लेकिन घर में किसी और को ये बात नहीं पता होती थी। वजह ये थी कि पापा हमेशा से चाहते थे परिवार के बाकी लोगों की तरह मैं भी एकेडमिक फील्ड में ही रहूं। हालांकि मैंने एक बार कोशिश की थी अपने इस काम के बारे में उनको बताने की लेकिन उन्होंने जैसा जवाब दिया था, उसके बाद तो मेरा यही फैसला था कि उनको न ही पता चले इसे काम के बारे में। इसी वजह से मैं उस कमरे में परफॉर्म करता था जहां पापा नहीं आते थे।
मैं CPMT क्वालिफाइड हूं और मेडिकल कॉलेज का टाॅपर भी हूं। सच बताऊं तो मेडिकल काॅलेज ही मेरे प्लान का हिस्सा था। वजह ये थी कि उस वक्त मैं न्यूजपेपर और मैगजीन में बाॅलीवुड सेलेब्स के बारे में पढ़ता था। इन सभी चीजों को पढ़ने के बाद मैंने एक चीज नोटिस कि इन सभी ने लाइफ में बहुत स्ट्रगल किया है।
इसी वजह से सोचा कि अगर मैं डॉक्टर बन गया तो रात में प्रैक्टिस करुंगा और दिन के समय फिल्मों के लिए स्ट्रगल करुंगा। मुझे फिल्म इंडस्ट्री में कब और कैसे काम होता है, इस चीज का अंदाजा नहीं था। साथ में ये भी विचार था कि डॉक्टर बन जाने से फाइनेंशियल प्रॉब्लम फेस नहीं करनी पड़ेगी, अगर पापा भी सपोर्ट नहीं करेंगे फिर भी काम चल जाएगा।
मैं ग्रेजुएशन करके NSD जाना चाहता था, इसके लिए मैंने BHU में एडमिशन भी ले लिया लेकिन उसी दौरान मेडिकल के रिजल्ट आ गए थे। इसके बाद मैं मेडिकल कॉलेज में चला गया। फिर वहां से मैं भाग-भाग के लोगों की एक्टिंग देखने के लिए NSD जाता था। मेडिकल की पढ़ाई की वजह से मैं कहीं भी एक्टिंग क्लासेस के लिए ऑफिशियली एडमिशन नहीं ले सकता था इसलिए चाहता था कि ज्यादा से ज्यादा वर्कशॉप कर लूं।
मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही एक टैलेंट हंट सुपरस्टार में मैंने पार्टिसिपेट किया था। इस बात की जानकारी बहन ने मुझे दे दी थी क्योंकि उसे भी पता था कि मेडिकल कॉलेज में जाने के पीछे का मकसद क्या है। बहन ने बताया कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए फिल्मों के लिए नए चेहरे की तलाश की जा रही है। उसने कहा, भईया घरवालों को बिना बताए आप इसमें पार्टिसिपेट कर लो। उसकी बात मान ली और मुंबई सिर्फ ऑडिशन देने के लिए गया। जब वहां पहुंचा तो उन लोगों ने कहा, आप अपना कुछ परफाॅर्म करो, उसके बाद उसी आधार पर हम आपको सिलेक्ट कर लेंगे।
मैंने एक प्ले लिखा था हाथी राम कोतवाल। उसी प्ले के कुछ हिस्सों को लेकर मैंने एक कहानी बनाई और उसी को परफॉर्म किया। वहां मौजूद लोगों को मेरा एक्ट पसंद आया जिसके बाद मुझे सिलेक्ट कर लिया गया। इसी तरह मैंने शो के फाइनल राउंड तक का सफर तय कर लिया। इस शो के जज एक्टर डायरेक्टर महेश मांजरेकर थे, जिनकी नजर मेरी पर पड़ी और उन्होंने मुझे फिल्म पिता में कास्ट किय
जब मुझे पहली फिल्म पिता मिली थी, तो उस वक्त मेरी पढ़ाई चल रही थी। मैं कॉलेज भी जाता था और साथ में शूटिंग करता था। सबको मुझसे बहुत उम्मीद थी। उनको लगता था कि महेश मांजरेकर ने टैलेंट हंट से मुझे खोजा है, तो कोई ना कोई बात मुझमें जरूर होगी जिससे मैं बहुत आगे जाऊंगा।
लेकिन जब मेरी पहली ही फिल्म ही फ्लॉप हो गई तो जिन लोगों को मुझसे इतनी उम्मीदें थी, वहीं लोग मेरे साथ नहीं रहे। उस समय जिन लोगों को मेरे पास होना था, वहीं लोग मुसीबत के समय मेरा साथ छोड़ गए। हालांकि महेश जी ने मुझे तब भी बहुत सपोर्ट किया था।
इसी के बाद डायरेक्शन का सिलसिला शुरू हुआ। इस उम्मीद से डायरेक्शन में उतरा था कि लोगों से जान-पहचान हो जाएगी लेकिन काम के इसी जद्दोजहद में मैंने करीब 10 फिल्मों के डायरेक्शन में मदद की। इसके बाद मैं इस सारे काम और एक्टिंग करियर में ब्रेक नहीं मिलने की वजह से इतना परेशान हो गया कि घर भाग गया।
मेरी पहली फिल्म आने पर पापा बहुत खुश हुए थे। हालांकि उन मानना था शौक के लिए 1 या 2 फिल्म करना सही है लेकिन उसके बाद में मुझे अपने मेडिकल करियर पर ही फोकस करना चाहिए। उनका कहना था कि अनजान शहर में कौन मेरी मदद करेगा और कौन अपनी फिल्म में मुझे काम देगा। इन सब के बीच भाई-बहन ही थे जिनको मुझ पर अटूट विश्वास था। इसके बाद ये सिलसिला चलता रहा और फाइनली मुझे फिल्म मुक्केबाज मिली।
मैंने 13 साल की उम्र से लिखना शुरू कर दिया। जो भी कुछ मन में आता था उसे मैं लिख देता था। इस दिन मैं कार से ट्रैवल से कर रहा था और FM पर गाने सुन रहा था। इसी दौरान धोनी के बारे में कुछ लोगों ने दो-दो लाइन बोली। ये सब सुन कर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं गाड़ी को किनारे रोकर सबकी बातों को ध्यान से सुनने लगा। इसके बाद सारी बातों का निचोड़ निकालकर मैंने धोनी पर कविता लिखी।
मेरी शादी को एक साल होने वाला है। 29 नवंबर 2021 को लॉन्ग टाइम गर्लफ्रेंड रुचिरा के साथ मैंने शादी की थी। कोविड के पहले ही शादी करने वाले थे लेकिन इस महामारी के चलते 2021 में शादी हुई। मेरी मुलाकात रुचिरा से मुंबई में हुई थी।