फिल्म ‘मंडली’ 27 अक्टूबर को रिलीज होनी है। फिल्म को सर्टिफिकेट दो महीने पहले मिल चुका है, लेकिन इसके ट्रेलर को पास करने में सेंसर बोर्ड आनाकानी कर रहा है। इसकी वजह से फिल्म का प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया है।
केसरी और पैडमैन जैसी फिल्मों के एक्टर और डायरेक्टर राकेश चतुर्वेदी ने सेंसर बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राकेश ने कहा कि उनकी फिल्म ‘मंडली’ के ट्रेलर को सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट तो दे दिया है, बस ट्रेलर का सर्टिफिकेट देने में आनाकानी कर रहा है। 27 अक्टूबर को फिल्म रिलीज भी होनी है।
ट्रेलर का सर्टिफिकेट न मिलने से फिल्म का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। राकेश ने कहा कि वो सेंसर बोर्ड के अधिकारी के पांव भी पड़ आए, इसके बावजूद उनका कोई रिस्पॉन्स नहीं है। फिल्म के प्रोड्यूसर प्रशांत गुप्ता ने कहा कि उन्होंने अपनी पूरी कमाई इस फिल्म पर लगा दी है।
यहां तक कि पत्नी और दोस्तों से पैसे लेकर फिल्म पूरी करनी पड़ी। अब सेंसर बोर्ड का यह रवैया देख कर वो हताश हो गए हैं। प्रशांत ने कहा कि वह इतने ज्यादा परेशान हैं कि उनके दिमाग में गलत कदम उठाने तक के ख्याल आ रहे हैं।
हमने सेंसर बोर्ड के रीजनल ऑफिसर महेश पाटिल से इस संबंध में बात करनी चाही, लेकिन उन्होंने फोन और मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया।
प्रोड्यूसर प्रशांत गुप्ता ने कहा- जिंदगी की पूरी कमाई फिल्म पर लगाई, सेंसर बोर्ड के रवैये से निराशा मिली
फिल्म के प्रोड्यूसर प्रशांत गुप्ता ने दैनिक भास्कर को एक्सक्लूसिवली कहा, ‘मेरे पास जितने पैसे थे, मैंने इस फिल्म को बनाने में लगा दिए। यहां तक कि वाइफ के पास जो सेविंग्स थीं, वो भी इसकी मेकिंग में लगा दिए। प्रमोशन के लिए पैसे नहीं थे, तो दोस्तों से उधार भी लिया।
अब जब फिल्म की रिलीज डेट नजदीक आ गई है तो सेंसर बोर्ड इसके ट्रेलर को सर्टिफिकेट नहीं दे रहा है। जब फिल्म का सर्टिफिकेट मिल गया तो ट्रेलर को पास करने में क्या दिक्कत आ रही है। सेंसर बोर्ड का यह रवैया समझ से परे है। स्थिति ऐसी हो गई कि मैं अपने साथ कुछ गलत भी कर सकता हूं।’
प्रशांत गुप्ता ने कहा कि दो महीने पहले उनकी फिल्म सेंसर बोर्ड से पास हो गई थी। बोर्ड ने फिल्म को दो-तीन कट्स के साथ फाइनल कर दिया था। यहां तक कि बोर्ड मेंबर्स ने फिल्म की तारीफ भी की थी। अब ऐसा क्या हो गया कि इसके ट्रेलर को हरी झंडी नहीं मिल रही है।
प्रशांत ने कहा, ‘हम लोगों ने भगवान श्रीराम पर फिल्म बनाई है। हम लोगों तक भगवान राम के आदर्शों को ले जाना चाहते हैं। हालांकि सेंसर बोर्ड को इससे क्या दिक्कत है, मुझे समझ नहीं आ रहा है। मैंने सेंसर बोर्ड के अधिकारियों से भी बात की। उनका कहना है कि हम कुछ नहीं कर सकते, ऊपर के लोगों से बात करो। मैंने रीजनल ऑफिसर महेश पाटिल से भी बात की। उन्होंने भी कुछ खास रिस्पॉन्स नहीं दिया।’
प्रशांत ने कहा कि सेंसर बोर्ड पर बड़े प्रोड्यूसर्स का प्रेशर है। इधर कई बड़ी फिल्में रिलीज होनी वाली हैं। प्रशांत ने कहा, ‘अगर मेरी फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो गया तो लोग इसे देखने थिएटर जरूर जाएंगे। हो सकता है कि इससे बड़ी फिल्मों को नुकसान हो जाए। उनका कलेक्शन गिर सकता है।
मेरी फिल्म रामलीला पर बेस्ड है, दिवाली का समय चल रहा है। इससे कई लोगों को दिक्कत है। इसी वजह से मेरी फिल्म के आगे रोड़े अटकाए जा रहे हैं। अब हमारे सामने कोई ऑप्शन नहीं है। चूंकि हमने थिएटर्स से 21 दिनों का स्लॉट ले लिया है इसलिए हमें बिना ट्रेलर के ही फिल्म रिलीज करनी पड़ेगी।’
फिल्म के डायरेक्टर और फेमस एक्टर राकेश चतुर्वेदी ने भी दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिवली बातें कीं। राकेश ने कहा, सेंसर बोर्ड ने फिल्म को तो पास कर दिया, लेकिन टीजर और ट्रेलर को यह कहते हुए रोक दिया कि इसमें कुछ धार्मिक एंगल है।
मैं इस समस्या के निदान के लिए CBFC ऑफिस गया। मैं रीजनल ऑफिसर के दफ्तर के बाहर घंटों बैठा रहा। उन्होंने मेरे से मिलना सही नहीं समझा। मैंने उन्हें फोन किया। आपको विश्वास नहीं होगा कि मैंने फोन पर उनके पांव तक पकड़ लिए।
मैंने हाथ जोड़ कर कहा कि सर, प्लीज सर्टिफिकेट दे दीजिए। हमारा सब कुछ बर्बाद हो जाएगा। थिएटर वालों की तरफ से हमारे पास बार-बार फोन आ रहे हैं कि ट्रेलर दो ताकि हम उसे दिखा सकें।’
राकेश ने कहा, ‘विशाल वाले केस के बाद CBFC के हाथ-पांव फूले हुए हैं। उनके ऊपर CBI की मार पड़ने वाली है। इस वजह से उन्होंने व्यवस्था को पूरी तरह से लचर कर दिया है। हम कह सकते हैं कि सेंसर बोर्ड वाले हम छोटे फिल्ममेकर्स से विशाल वाले केस का बदला ले रहे हैं। वर्ना किसी भी फिल्म का ट्रेलर पास करने के लिए इनको बस एक दिन लगता है।
10 अक्टूबर से ही हम उनके रिएक्शन का इंतजार कर रहे हैं। हमें बस इधर से उधर दौड़ाया जा रहा है। मैंने इसके पहले भी दो फिल्में बनाई हैं। CBFC ने उन दोनों फिल्मों में जो बदलाव करने को कहा, मैंने किया।
मैं सेंसर बोर्ड की काफी इज्जत करता हूं। आज भी वो जो बदलाव करने को कहे मैं वो सब करने को तैयार हूं, बस मेरी फिल्म के ट्रेलर को सर्टिफिकेट दे दें। हालांकि उनके कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।’
राकेश ने कहा कि सेंसर बोर्ड को एक घंटे 58 मिनट की फिल्म पास करने में समस्या नहीं आई और एक मिनट तीन सेकेंड के ट्रेलर को सर्टिफिकेट देने में इतना वक्त लग रहा है। राकेश ने कहा, ‘अब तो सेंसर बोर्ड ने हमारी फिल्म को बर्बाद कर दिया। हम लोगों ने दशहरे को ध्यान में रखते हुए फिल्म बनाई थी, अगले दो-तीन दिनों में यह माहौल भी खत्म हो जाएगा।
हम चाहते तो पहले ही इसकी शिकायत कर सकते थे, लेकिन दूसरी तरफ से बार-बार हमें झूठा दिलासा दिया जा रहा था कि आज दे देंगे, कल दे देंगे। अब हमारे पास सेंसर बोर्ड की शिकायत करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है।’