अब तक कुल 172 इजराइली सैनिक मारे गए हैं, गाजा में जंग के दौरान

IDF की रिपोर्ट के मुताबिक- गाजा में जंग के दौरान अब तक कुल 172 इजराइली सैनिक मारे गए हैं। इनमें से 29 की मौत फ्रेंडली फायर या एक्सीडेंट्स की वजह से हुई। अगर सैनिक सतर्क रहते और नियमों का पालन करते तो ये घटनाएं रोकी जा सकती थीं।
दूसरी तरफ, IDF ने साफ कर दिया है कि वो अब दक्षिणी लेबनान पर वैसे ही हमले कर रहा है, जैसे उसने गाजा में हमास पर किए हैं।
इजराइल और हमास के बीच वैसे तो जंग की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हुई थी, लेकिन IDF ने ग्राउंड ऑपरेशन अक्टूबर के आखिर में शुरू किए। इसके बाद अब तक कुल 172 इजराइली सैनिक मारे गए हैं।
अब IDF की ही रिपोर्ट में कहा गया है कि 29 सैनिकों की मौत दो वजहों से हुई। पहली- फ्रेंडली फायर। इसके मायने ये होते हैं कि कोई सैनिक अपने ही साथी सैनिक को गलती से या दूरी होने पर न पहचानने के चलते गोली मार दे। दूसरी- एक्सीडेंट्स की वजह से।
IDF की रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि फ्रेंडली फायर या फिर एक्सीडेंट्स में कितने सैनिक घायल हुए हैं। 18 सैनिक तो सिर्फ फ्रेंडली फायर में मारे गए हैं। इसमें भी ज्यादातर पहचान न होने की वजह से हुई और इसकी वजह ज्यादा दूरी या पहचानने में गलती से हुई। कुछ सैनिक एयरस्ट्राइक्स में भी मारे गए।
9 सैनिकों की मौत एक्सीडेंट्स में हुई। कुछ को अपने ही बख्तरबंद वाहनों ने गलती से रौंद दिया तो कुछ बिल्डिंग डिमोलिशन के दौरान विस्फोटकों की चपेट में आ गए।
IDF का कहना है कि गाजा में कई सैनिक एक साथ ऑपरेट कर रहे हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने वॉर जोन प्रोटोकॉल को पूरी तरह फॉलो नहीं किया और इसकी वजह से सेना को भी नुकसान उठाना पड़ा।
इजराइल के विपक्षी नेता और पूर्व डिफेंस मिनिस्टर एविगडोर लिबरमैन ने सरकार से कहा है कि अब दक्षिणी लेबनान पर भी कब्जा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा- लेबनान की वजह से हमें काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इसलिए इस नुकसान की भरपाई भी उससे ही की जानी चाहिए। लिबरमैन ने कहा- कम से कम 50 साल के लिए लेबनान को हमें कब्जे में ले लेना चाहिए। इससे हिजबुल्लाह भी खत्म हो जाएगा और अमन भी कायम हो होगा।
IDF ने भी अब हिजबुल्लाह के खिलाफ जबरदस्त हमले शुरू कर दिए हैं। रविवार और सोमवार को IDF ने दक्षिणी लेबनान पर एरियल अटैक तो किए ही, साथ ही ड्रोन को भी तैनात कर दिया। माना जा रहा है कि इन हमलों में हिजबुल्लाह के कई आतंकी मारे गए हैं और इससे ज्यादा नुकसान उसके ठिकानों को हुआ है।