किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के निर्माणाधीन सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस बिल्डिंग में गुरुवार दोपहर बाद अचानक से आग लग गई। आग लगने से कैंपस में अफरा तफरी मच गई। सूचना मिलते ही मौके पर फायर ब्रिगेड की 5 गाड़ियां पहुंची। करीब 40 मिनट में आग पर काबू पाया जा सका।
ग्राउंड फ्लोर पर OPD के मरीज और तीमारदारों की सुबह से ही भीड़ थी। दोपहर 2 बजे के करीब चाइल्ड साइकेट्री के पास धुंआ उठने लगा। लोगों ने देखा तो निर्माणाधीन सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस बिल्डिंग के टॉप फ्लोर पर आग लगी हुई थी।
उस वक्त डॉ. पवन कुमार गुप्ता OPD में मरीज देख रहे थे। वे आनन फानन में परिसर से बाहर निकले। फौरन फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी गई। उसके बाद फायर ब्रिगेड की 5 गाडियां मौके पर पहुंची। तब जाकर आग पर काबू पाया जा सका।
KGMU के प्रवक्ता डॉ. सुधीर ने बताया कि साईकेट्री डिपार्टमेंट में आग लगी थी। यह G+1 बिल्डिंग हैं। इसी परिसर में ऊपर के 2 फ्लोर सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस के लिए प्रस्तावित हैं। उन पर अज काम चल रहा था, इस बीच करीब 2:15 के बाद अचानक से आग लग गई। उस वक्त ज्यादातर डॉक्टर और मरीज परिसर से बाहर थे।
सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तुरंत पहुंच गई थी।करीब 40 मिनट में फायर ब्रिगेड की 5 गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। आग कैसे लगी इसके लिए जांच के आदेश दिए गए हैं। फिलहाल किसी के अंदर फंसे होने की सूचना नहीं हैं।
डीएम सूर्य पाल गंगवार के अनुसार केजीएमयू के मनोरोग विभाग की बिल्डिंग में शटरिंग का काम चल रहा था। तभी किसी वजह से टॉप फ्लोर पर आग लग गई। सूचना मिलने के बाद फायर ब्रिगेड की 5 गाड़ियां मौके पर पहुंची थी। आग पर काबू पाया जा चुका है। इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई है।
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सरकारी अस्पताल और मेडिकल संस्थानों में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने समय-समय पर मॉकड्रिल करने को कहा है। लापरवाही बरतने पर कार्रवाई की बात कही है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को सभी जिलों के सीएमओ, अस्पताल के सीएमएस व मेडिकल संस्थान के अधिकारियों को निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि गर्मी में आग लगने जैसी घटनाओं की आशंका बढ़ जाती हैं। ऐसे में खास एहतियात बरतें। आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम कर लें। फायर फाइटिंग सिस्टम की क्षमता को परखें। सप्ताह में कम से कम मॉकड्रिल करें। कर्मचारियों को आकस्मिक दशा में आग से बचाव हेतु प्रशिक्षित करें। इमरजेंसी गेट आदि के बार में दिशा निर्देश दीवारों पर चस्पा करायें। ताकि आपातकाल में लोगों को इमरजेंसी गेट आदि तलाशने में अड़चन न आये।
वार्ड में फायर इस्टिंग्यूसर पर्याप्त संख्या में लगाये जायें। उन्हें चलाने की जानकारी भी दी जाये। बिजली की वायरिंग, बोर्ड, स्विच आदि भी समय-समय पर चेक कराये। सेंट्रल एयरकंडीशन के संचालन में भी मानकों की अनदेखी न करें। श्री ब्रजेश पाठक ने कहाकि निर्माणाधीन भवनों की तरफ बिना जरूरत मरीज-तीमारदार न जाने पायें। अस्पतालों में व्यवस्था बनाये रखने में किसी भी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए।
ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्रदेश भर के अस्पतालों की ओपीडी में प्रतिदिन करीब डेढ़ लाख से अधिक मरीज आ रहे हैं। इमरजेंसी में गंभीर मरीज इलाज के लिए पहुँच रहे हैं। ऐसे में मरीज और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। इस जिम्मेदारी को अधिकारी ईमानदारी से निभायें।