तमिलनाडु सरकार के रूख पर पैनी नजर, CUET पर स्टालिन के विरोध के बीच धर्मेंद्र प्रधान से मिले राज्यपाल आरएन रवि,

मेडिकल में दाखिले से जुड़ी परीक्षा नीट (नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) से खुद को अलग करने के बाद तमिलनाडु की ओर से अब सीयूईटी (सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट) पर उठाए जा रहे सवालों से केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। केंद्र ने राज्य सरकार के रुख पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी है। इस बीच, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की है। दोनों के बीच तमिलनाडु सरकार के रुख सहित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल पर चर्चा होने की खबर ह

शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सीयूईटी सभी राज्यों के छात्रों के हित में है। इससे उन्हें दाखिले के लिए भटकना नहीं होगा। इस परीक्षा का पाठ्यक्रम 12वीं के स्टैंडर्ड का होगा। इसमें सभी राज्यों के बच्चों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। तमिलनाडु सरकार इसको लेकर बेवजह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। इसको लेकर जल्द ही तमिलनाडु से बात की जाएगी और उसे सीयूईटी से जुड़े पहलुओं से अवगत कराया जाएगा

मंत्रालय के मुताबिक, सीयूईटी किसी छात्र के खिलाफ नहीं है। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश के बाद अमल में लाया गया है। गौरतलब है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सीयूईटी को लेकर विरोध जताया था। कहा था कि इससे राज्य के बच्चों को नुकसान होगा। सीयूईटी का पाठ्यक्रम एनसीईआरटी आधारित रखा गया है, जबकि तमिलनाडु के बच्चे अपने राज्य के पाठ्यक्रम से पढ़ाई करते हैं। ऐसे में इस परीक्षा में उनके बच्चे पिछड़ जाएंगे। उन्होंने अंकों के आधार पर ही दाखिले की प्रक्रिया को जारी रखने का सुझाव दिया।
तमिलनाडु ने नीट से भी इस बार यह कहते हुए खुद को अलग कर लिया था कि इससे उसके बच्चों को दाखिला नहीं मिल पाता है। मौजूदा नियमों के तहत नीट में शामिल होने वाले राज्यों को अपनी 15 प्रतिशत सीटें आल इंडिया कोटे के लिए देनी होती हैं।