सीवर में गिरने से दो मजदूरों की हुई मौत के मामले में मुकदमा दर्ज हो गया है। ठेकेदार समेत तीन लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ है। दूसरी तरफ मजूदरों के परिवार ने मुआवजा का 30 लाख रुपए लेने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि जब परिवार के सदस्य ही नहीं रहे तो पैसा लेकर क्या करेंगे। उन लोगों ने आरोपी की गिरफ्तारी और उनकी सजा की मांग की है। सीतापुर स्थित उनके आवास पर जल निगम की तरफ से कुछ अधिकारी मुआवजा का 30 – 30 लाख रुपए लेकर गए थे।
पुलिस ने कंपनी केके स्पन के निदेशक और ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। ठेकेदार ने दोनों मजूदरों को बिना ऑक्सीजन मास्क, सुरक्षा के अन्य उपकरण ही मेनहोल में उतार दिया था। दोनों की दम घुटने से मौत हो गई थी।
मृतक सोबरन के छोटे बेटे विनय ने वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है। विनय ने आरोप लगाया है कि सफाई के दौरान दम घुटने से पिता शोबरन और भाई सुशील नीचे गिर गये। यह देखकर ठेकेदार और अन्य साथी भाग निकले थे।
सीतापुर के कमलापुर निवासी विनय यादव ने बताया कि उसके पिता और भाई छह साल से हरियाणा, फरीदाबाद की कम्पनी केके स्पन इंडिया प्राइवेट लिमिटेछ के लिए काम कर रहे है। कम्पनी के डायरेक्टर हिमांशु गुप्ता, ठेकेदार केएस पाण्डेय, कैलाश दीक्षित ने पिता और भाई को लखनऊ में काम के लिये बुलाया था।
शोबरन के बेटे विनय ने आरोप लगाया कि डायरेक्टर हिमांशु व ठेकेदार केएस पाण्डेय और कैलाश ही उनके पिता व भाई की मौत होने के जिम्मेदार है। विनय की इसी 18 मई को शादी थी। दो दिन पहले ही पिता व भाई शादी की सारी रस्म पूरी होने के बाद लखनऊ लौटे थे। घर में खुशी का माहौल चल रहा था जो इस हादसे से शोक में बदल गया।
20 लोगों की टीम शव के साथ सीतापुर स्थित मृतक के घर गई थी। अधीक्षण अभियंता शमीम अख्तर ने बताया कि मृतक के परिवार जनों को मुआवजे की रकम 30-30 लाख रु की चेक दी गई थी मगर परिजनों ने फिलहाल लेने से इंकार कर दिया।
गांव में प्रधान से भी बात की गई तो बताया गया कि विचार-विमर्श के बाद ही मुआवजे की रकम लेंगे। इंजीनियर ने बताया शोबरन के परिवार में उसकी पत्नी, छोटा बेटा विनय, बड़े बेटे मृतक सुशील की पत्नी व पांच साल की बेटी है।
मजदूरों की मौत के मामले में जिम्मेदार बड़े अफसर व इंजीनियर को बचा लिया गया। इस मामले में सिर्फ सहायक अभियन्ता मुनीश अली, अवर अभियंता गुडलक वर्मा को निलम्बित किया। जबकि किसी भी बड़े अधिकारी या इंजीनियर को दोषी करार नहीं दिया गया है। अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता से लेकर अधिशासी अभियन्ता ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो यह हादसा न होता।
राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य श्याम लाल वाल्मीकि ने मांग की है मौत के मामले में जिम्मेदारी अधिकारियों के घर पर बोलडोजर चलना चाहिए। मौतों पर अंकुश लगाने के लिए जब तक दोषियों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई का प्राविधान नहीं होगा तब तक ऐसी मौतों का सिलसिला जारी रहेगा।
राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य श्याम लाल वाल्मीकि का कहना है कि आजादी के बाद अब तक पूरे देश में 50000 से अधिक सफाई मजदूरों की मौतें हो चुकी है।