देश में कोरोना वायरस के खिलाफ सभी राज्य लड़ाई लड़ रहे हैं। राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ उनके मंत्री भी इस लड़ाई को लड़ रहे हैं। यहां तक प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस लड़ाई में अपने सभी मंत्रियों को आजादी दी हुई है। हालांकि इस बीच कई केंद्रीय मंत्री अपने घर में रहते हुए अपनी मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
वहीं, उत्तर प्रदेश में तो कोरोना से निपटने के लिए कुछ अलग ही तरीके से काम चल रहा है। यहां मुख्यमंत्री ने एक टीम 11 बने हुई है लेकिन खास बात ये है कि उनकी इस टीम में किसी भी मंत्री को जगह नहीं मिली है। सब के सब ब्यूरोक्रेटस हैं। सीएम इन ब्यूरोक्रेट्स के साथ अपने सरकारी आवास पर हर रोज रिव्यू मीटिंग कर रहे हैं, इस मीटिंग में भी कोई मंत्री शामिल नहीं किये जा रहे।
दोनों डिप्टी सीएम भी इन रिव्यू मीटिंग में 12 अप्रैल तक नहीं बुलाये गए। जबकि लॉकडाउन की अवधि खत्म होने के कुछ घंटे पहले ही लखनऊ में रह रहे मंत्रियों को सीएम ने अपने आवास पर बुलाया। इसके बाद उन्हें चंद समितियों का मुखिया बना दिया।
इसके पहले जब पीएम लॉकडाउन का समय बढ़ाने पर मुख्यमंत्रियों की राय ले रहे थे, तब सूबे की सरकार के इन मंत्रियों ने इस मामले में सीएम साहब को कोई सलाह दी या नही? या फिर मुख्यमंत्री ने ही अपने मंत्रियों से इस बारें में कुछ पूछा ? इस बात का अंदाजा किसी को भी नही।
खुद मुख्यमंत्री योगी ही राज्य में कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए कोविड वार्ड बनाने के निर्देश देते दिखे। यूपी के आमजनों को दूध, आटा, दाल, चावल, ब्रेड, अंडा, आलू, प्याज सहित जरुरी चीजे मिल सके इसकी चिंता भी सीएम साहब ही करते दिखे। हर जिले में मुस्तैद पुलिस के जवान और अधिकारी को भी वही निर्देश दे रहे थे।
इसके अलावा किसान से लेकर, मनरेगा श्रमिक और दैनिक मजदूरों के खाते में सरकारी सहयता पहुचाने का काम भी मुख्यमंत्री ही कर रहें थे। कुल मिलाकर कोराना की इस लड़ाई में मुख्यमंत्री ही अकेले हर तरफ दिखायी दे रहे। उनकी पूरी कैबिनेट गायब दिख रही। ऐसे में सवाल उठता है कि कहाँ है योगी के मंत्री?
केंद्र सरकार के मंत्रियों की तरह उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री क्यों अपने घर से अपने विभाग का काम नही कर रहे? यह लोग क्यों मीडिया में स्पेस बनाए रखने के लिए अन्य विकल्पों का सहारा ले रहे हैं? कोई अपने कपड़ों में प्रेस करते हुए फोटो सेशन करा रहा है, तो कोई किचन में काम करते हुए। जब इस बारे में सवाल हुआ? तो कई तरह की बातें लोगों ने कही।
कोई कह रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोरोना के खिलाफ जंग जीत कर राज्य की सियायत में महानायक की तरह उभरना चाहते हैं। किसी तरह से उन्हें कोई चुनौती न मिल पाए, इसलिए वह अपनी कैबिनेट के किसी भी सहयोगी को कोई मौका नहीं देना चाहते हैं।
तो किसी ने बताया कि मंत्रियों को टीम-11 के ब्यूरोक्रेट्स के साथ बिठाकर समीक्षा करने में मंत्री को भी महत्व मिलता। इसलिए उन्हें दूर रखा गया। फ़िलहाल इस मामले में मुख्यमंत्री योगी को अकेले ही हर मोर्चे पर क्यों जूझना पड़ रहा है? इस बारे में सरकार से जुड़ा कोई भी अधिकारी और सलाहकार बोलना को नही तैयार है।