तकनीक, बुनियादी ढांचा और वित्तीय सेवाओं में विदेशी निवेश की जांच के लिए अलग कमेटी स्थापित करने वाला निजी बिल शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया गया। सांसदों ने पार्टी लाइन से अलग हटकर इस बिल का समर्थन किया। भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों के सदस्यों ने डाटा सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए एक सुर में कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है और कुछ क्षेत्रों में विदेशी निवेश की जांच बेहद जरूरी है। राज्यसभा में मनोनीत सदस्य नरेंद्र जाधव ने वित्तीय निवेश, बुनियादी ढांचा और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रौद्योगिकी में विदेशी निवेश (विनियमन) विधेयक पेश किया। जाधव ने पिछले साल 6 दिसंबर को भी यह बिल पेश किया था लेकिन तब वह उद्घाटन भाषण का निष्कर्ष पेश नहीं कर पाए थे। शुक्रवार को बिल पर चर्चा के दौरान जाधव ने कहा, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 284 अरब डॉलर के अप्रत्याशित स्तर की वृद्धि हुई है। हम अभी भी वित्तीय क्षेत्र और प्रौद्योगिकी जैसे संवेदनशीन हिस्सों में विदेशी निवेशकों को बढ़ावा देते चले जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, डिजिटल माहौल तेजी से बदल रहा है ऐसे में विदेशी निवेशों की जांच पड़ताल बेहद जरूरी है। इस लिए सरकार को ऐसी कमेटी गठित करनी चाहिए जो विशेष तौर पर वित्तीय, बुनियादी ढांचे और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रौद्योगिकी में विदेशी निवेश की बारीकी से जांच पड़ताल करे। इस बिल में वित्तीय मामलों के सचिव स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में समिति गठित करने का प्रावधान है जो एफडीआई पर पूरी नजर रखे और जांच करे। भाजपा के डीपी वत्स, अशोक बाजपेयी, महेश पोद्दार, आरजेडी के मनोज झा और टीकेएस के एलनगोवन ने भी बिल का समर्थन किया।
एनबीएफसी में 100 फीसदी स्वामित्व
जाधव ने बिल पेश करते हुए कहा कि एनबीएफसी में स्वचालित रूट के जरिए विदेशी निवेशकों को 100 फीसदी स्वामित्व प्राप्त है। उन्होंने सवाल किया कि क्या हम हाथ में हाथ रखकर विदेशी कंपनियों को एनबीएफसी और पेमेंट फर्मों में हिस्सेदारी पर स्वामित्व देने की स्थिति में हैं? यह देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इसके अलावा देश में डाटा सुरक्षा के लिए कानूनों के बिना इस दिशा में आगे बढ़ना खतरे से खाली नहीं है।
लाखों लोगों का निजी और वित्तीय डाटा दांव पर
जाधव ने कहा, विदेशी कंपनियों को एफडीआई के तहत प्राप्त स्वामित्व से देश के लाखों लोगों का निजी व वित्तीय डाटा इन कंपनियों की गिरफ्त में है। इममें नेताओं, सैन्य कर्मियों और आम आदमी की सूचनाओं के गलत इस्तेमाल का खतरा बढ़ जाता है। इसका राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ इस्तेमाल हो सकता है। हमें इस पर तुरंत नकेल कसने की जरूरत है, ऐसे में यह बिल बेहद जरूरी है।
अलीबाबा का दिया उदाहरण
जाधव ने अपनी दलील में चीनी कंपनी अलीबाबा का जिक्र किया। उन्होंने कहा, दो साल पहले अमेरिकी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर अलीबाबा संस्थापक जैक मा द्वारा पैसा ट्रांसफर करने वाली कंपनी मनीग्राम के अधिग्रहण की योजना को विफल कर दिया था।
इन देशों में एफडीआई पर नकेल
जाधव ने बताया कि चीन जैसे देश ने भी अपने यहां वित्तीय क्षेत्र में एफडीआई को सीमित दखल दिया है। इसके अलावा मलयेशिया, थाइलैंड और इंडोनेशिया ने भी कड़े कदम उठाये हैं। लेकिन भारत में एफडीआई को 74 फीसदी दखल दिया हुआ है।