केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि देशव्यापी एनआरसी लागू करने के लिए समुचित कानून प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसमें राज्य सरकारों की सलाह ली जाएगा। यह भी कि क्या नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर का कुछ डेटा एनआरसी के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं। उन्होंने द संडे एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में ये बातें कही।
उनका यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आधा दर्जन से अधिक राज्य सरकारों ने एनआरसी लागू करने का विरोध किया है जिसमें बिहार भी शामिल हैं। जहां उनकी सहयोगी पार्टी जेडीयू सत्ता में है। दो राज्यों ने यह भी कहा है कि वो अपने प्रदेश में एनपीआर की भी अनुमति नहीं देंगे।
पिछले हफ्ते एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि एनपीआर और एनआरसी दोनों अलग-अलग कानून से संचालित हैं। एनआरसी के लिए एपीआर का डेटा कभी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा था कि इन दोनों प्रक्रियाओं का कोई संबंधन हीं है और ना इनका सर्वे एक-दूसरे में इस्तेमाल हो सकता है।
एनआरसी कब तक लागू किया जाएगा? इस सवाल के जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक कानूनी प्रक्रिया है। पहले निर्णय लेते हैं, फिर नोटिफिकेशन जारी होता है, प्रक्रिया, वेरिफिकेशन, ऑब्जेक्शन और राइट टू अपील। राज्य सरकारों से भी चर्चा की जाती है और फीडबैक लिया जाता है। अगर इस बारे में कुछ भी होगा तो सार्वजनिक तौर पर। एनआरसी पर कुछ भी गुप्त नहीं रखा जाएगा। हालांकि प्रसाद ने यह भी कहा कि असम में कराई गई एनआरसी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुई थी।