सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील द्वारा दाखिल पीआईएल की सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से देश भर की अदालतों की सुरक्षा के लिए एक विशेष बल के गठन को लेकर प्रतिक्रिया मांगी है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पीआईएल में याचिकाकर्ता ने अदालत के परिसर के अंदर लगातार हो रही हिंसक घटनाओं का हवाला दिया है, जिनमें आगरा में एक महिला वकील की हत्या और हाल ही में दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच हुई झड़प की घटनाएं शामिल हैं।

तीस हजारी कोर्ट की झड़प और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल की पहली महिला अध्यक्ष को आगरा कोर्ट के अंदर गोली मारे जाने की घटनाओं ने अदालत परिसरों में वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था में खामियों को उजागर किया है।

मद्रास हाई कोर्ट ने 2015 में वकीलों की हड़ताल के बाद उनके द्वारा पैदा की गई अव्यवस्था को देखते हुए राज्य पुलिस की जगह अदालत की सुरक्षा सीआईएसएफ को सौंपने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के इस फैसले को बरकार रखते हुए कहा था कि न्यायपालिका के प्रभावशाली रहने के लिए उसकी गरिमा और अखंडता को अक्षुण्ण रखना आवश्यक है।

अदालत परिसरों में उचित सुरक्षा तंत्र के अभाव पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के वकील करुणाकर महालिक ने सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए एक पीआईएल दाखिल की थी। उन्होंने अपनी पीआईएल में कहा है कि केंद्र को न्यायपालिका के लिए एक समर्पित सुरक्षा बल बनाने का निर्देश दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसके लिए रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) का हवाला दिया जिसका गठन रेलवे की संपत्तियों और परिसरों की सुरक्षा के लिए किया गया था।

उनकी याचिका पर सुनवाई करने को राजी होते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने केंद्र और सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को विशेष बल के गठन के बारे में 27 जनवरी तक उनकी प्रतिक्रिया बताने का निदेश जारी किया।

बेंच ने साथ ही अटॉर्नी जनलर केके वेणुगोपाल से भी इस मामले में फैसला लेने में कोर्ट की मदद करने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की भी प्रतिक्रिया मांगी है।

याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में ये भी कहा है कि न्यायपालिका के लिए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका समेत कई देशों में एक विशेष बल का गठन किया गया है और वैसा ही भारत में भी किया जाना चाहिए, क्योंकि पुलिस अत्यधिक काम के बोझ की वजह से फूलप्रूफ सुरक्षा उपलब्ध कराने में असमर्थ रही है।

याचिकाकर्ता ने साथ ही ये भी कहा कि वादियों, अधिवक्ताओं, न्यायिक अधिकारियों और अदालत परिसर में आने वालों को एक सुरक्षित और सकुल वातावरण उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है।