आयुर्वेद में कई सालों से रोगों के उपचार में प्रयोग किया जा रहा गूलर बहुगुणी है. इसका कच्चा व पका दोनों तरह का फल उपयोगी है. साथ ही इसकी जड़, छाल आदि भी चिकित्सकीय रूप से प्रयोग होती है. गर्मी के मौसम में खासतौर पर इसके फूल कार्य में लिए जाते हैं जो कि अंजीर के फल के समान होते हैं.
पोषक तत्त्व : कच्चे गूलर का स्वाद फीका और पके का मीठा होता है. एंटीऑक्सीडेंट, एंटीडायबिटिक, एंटीअल्सर, एंटीइंफ्लेमेट्री, एंटीअस्थमेटिक तत्त्वों से युक्त गूलर कई अन्य रोगों में इस्तेमाल होता है.
इस्तेमाल : गूलर के कच्चे फल का चूर्ण 10-20 ग्राम, इसका काढ़ा 50-100 एमएल व इसका दूध 10-15 बूंद की मात्रा में लिया जा सकता है . गूलर के पेड़ के विभिन्न तत्त्वों से निकलने वाले दूध को कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है .
ये हैं फायदे : प्रकृति में ठंडा होने के कारण गूलर पित्त, कफ और रक्त विकार को दूर करता है . आंखों से संबंधी रोगों के अतिरिक्त मधुमेह, शारीरिक कमजोरी, अल्सर, हड्डियों से जुड़े रोगों में लाभदायक है . यह स्कीन के घाव भरने में भी सहयोगी है .