सभा में मतदान और मत-विभाजन संबंधी प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 100(1) और लोक सभा के प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियमों के नियम 367, 367क, 367कक और 367ख द्वारा संचालित होती है। लोक सभा में मतदान हेतु अपनायी गयी विभिन्न प्रणालियां निम्न हैं:
1. ध्वनिमत: यह किसी सदस्य द्वारा किए गए प्रस्ताव पर पीठ द्वारा रखे गए प्रश्न पर निर्णय लेने की एक सरल प्रणाली है। इस प्रणाली के अंतर्गत सभा के समक्ष रखे गए प्रश्न का निर्धारण ‘हां’ या ‘नहीं’, जैसी भी स्थिति हो, द्वारा किया जाता है।
2. मत-विभाजन: मत-विभाजन कराने की तीन प्रणालियां हैं, अर्थात (एक) स्वचालित मत अभिलेख यंत्र द्वारा (दो) सभा में ‘हां’ और ‘न’ पर्चियां वितरित करके और (तीन) सदस्य द्वारा लॉबी में जाकर। तथापि, जबसे स्वचालित मत अभिलेख यंत्र लगा दिया गया है तबसे लॉबी में जाकर मतदान करने की प्रणाली अप्रचलित हो गयी है।
3. गुप्त मतदान: गुप्त मतदान, यदि कोई हो, उसी प्रकार किया जाता है, सिवाय इसके कि लैम्प-फील्ड तथा मशीन रूप में बोर्ड पर लगा बल्ब केवल सफेद प्रकाश फेंकता है, जिससे यह प्रकट होता है कि मत अभिलिखित कर लिया गया है।
‘प्रकट’ मतदान अवधि के दौरान व्यक्तिगत परिणाम को, व्यक्तिगत परिणाम डिसप्ले पैनल पर ‘ए’, ‘एन’ और ‘ओ’ तीन विशेषताओं द्वारा दर्शाया जाता है, किंतु गुप्त मतदान के दौरान केवल डाले गए मतों को सफेद प्रकाश में ‘पी’ चिह्न द्वारा दर्शाया जाता है।
4. पर्चियों के वितरण द्वारा मतों का अभिलेखन: ‘हां’ या ‘नहीं’ पर्चियों पर सदस्यों के मतों का अभिलेखन का तरीका सामान्यतया निम्नलिखित परिस्थतियों में अपनाया जाता है:- (एक) स्वचालित मत अभिलेखन यंत्र का संचालन अकस्मात बंद हो जाने के कारण, तथा (दो) नई लोक सभा के आरंभ होने पर, सदस्यों को स्थानों/विभाजन संख्याओ का आवंटन किए जाने से पूर्व।
5. औपचारिक विभाजन की बजाय सदस्यों की उनके स्थानों पर वास्तविक गणना: यदि पीठासीन अधिकारी की राय में, विभाजन की अनावश्यक मांग की गयी है, तो वह ‘हां’ तथा ‘नहीं’ पक्ष वाले सदस्यों से क्रमश: अपने स्थानों पर खड़े होने के लिए कह सकते हैं और गिनती होने के बाद वह सभा के निश्चय की घोषणा कर सकते हैं। ऐसे मामले में सदस्यों के मतदान के विवरण का अभिलेखन नहीं किया जाता है।
6. निर्णायक मत: यदि किसी विभाजन में ‘हां’ तथा ‘नहीं’ पक्षों के मतों की संख्या समान हो, तो उस का निर्णय पीठासीन अधिकारी के निर्णायक मत द्वारा किया जाता है। संविधान के अंतर्गत, अध्यक्ष अथवा उसके रूप में काम करने वाला व्यक्ति किसी विभाजन में मतदान नहीं कर सकता, उसका केवल निर्णायक मत होता है, जिसका प्रयोग उसे मतों के समान होने पर अनिवार्यत: करना चाहिए।
संवाददाता : शिवेंद्र जायसवाल (द दस्तक 24)
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