दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की इजाजत मांगते हुए उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर कहा गया है कि यह एक पवित्र स्थान है और पिछले 500-600 बरसों से वे वहां पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शीर्ष न्यायालय के निर्देश पर इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया है। मंदिर को ध्वस्त किये जाने के बाद दिल्ली, पंजाब और हरियाणा जैसे स्थानों पर सिलसिलेवार प्रदर्शन हुए।
शीर्ष न्यायालय ने 19 अगस्त को इन इलाकों में अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि राजनीतिक रूप से या किसी अन्य तरीके से कानून व्यवस्था की कोई समस्या पैदा नहीं हो।
याचिका दो पूर्व सांसदों-अशोक तंवर और प्रदीप जैन आदित्य-ने दायर की है। उन्होंने पूजा अर्चना करने के अपने अधिकारों को लागू करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि तुगलकाबाद में मंदिर और समाधि स्थल को ध्वस्त किये जाने के चलते वे इन अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वे संत गुरु रविदास के अनुयायी हैं और इस स्थान पर नियमित रूप से पूजा अर्चना किया करते थे। याचिका में कहा गया है कि यह स्थल पवित्र है और अनुयायियों में इसके प्रति अत्यधिक आस्था है क्योंकि संत गुरु रविदास इस स्थान पर रहे थे।
साथ ही, उन्हें यह (अफगान शासक) सिकंदर लोधी ने 1509 में दिया था। याचिका में कहा गया है कि 10 अगस्त को डीडीए ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया और वहां स्थापित संत रविदास की प्रतिमा भी हटा दी।