तमिल फ़िल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत ने हाल ही में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू की किताब के विमोचन के मौके पर भाजपा नेता और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ़ की। कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार के फैसले का भी उन्होंने समर्थन किया। रजनीकांत भाजपा का समर्थन क्यों कर रहे हैं जबकि उन्होंने घोषणा की है कि वो आगामी विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेंगे। हाल ही में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के दो साल के अनुभवों पर आधारित किताब ‘लिसनिंग, लर्निंग, लीडिंग’ का चेन्नई में विमोचन था। रजनीकांत इस समारोह के विशेष अतिथि थे। यहां उन्होंने जो भाषण दिया उसने काफ़ी लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने कहा, “कश्मीर मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के फैसले का दिल से स्वागत करता हूं। आपने जिस तरह मसले को हैंडल किया, मैं सलाम करता हूं। खासकर संसद में आपका भाषण बहुत अच्छा था। अब लोग जानने लगे हैं कि अमित शाह कौन हैं। मैं इस बारे में खुश हूं। मोदी और अमित शाह कृष्ण और अर्जुन की तरह हैं। हम नहीं जानते कि इसमें कृष्ण कौन है और अर्जुन कौन, ये केवल वे ही जानते हैं।” सोशल मीडिया पर उनके इस भाषण पर काफ़ी सरगर्मी देखी गई।
रजनीकांत लंबे समय से राजनीति में आने की बात करते रहे हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता की मौत के बाद उन्होंने घोषणा की थी कि वो जल्द ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश लेंगे। इसके साथ ही रजनी मक्कल मंद्रम नाम से एक संगठन की भी शुरुआत की गई थी।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु की राजनीति में एक शून्य पैदा हो गया है और विधानसभा चुनावों के साथ ही वो राजनीति में सक्रिय हिस्सेदारी करेंगे। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपने विचार ज़ाहिर किए थे। स्टरलाइट प्रदर्शन को लेकर उनके बयान से काफ़ी विवाद पैदा हुआ, जिसमें उन्होंने कहा था, “अगर हम हर चीज़ के लिए प्रदर्शन करते रहेंगे, तमिलनाडु कब्रिस्तान बन जाएगा।”
हालांकि उन्होंने संसदीय चुनावों में किसी का समर्थन नहीं किया था, लेकिन उन्होंने कहा था लोगों को उस पार्टी को वोट देना चाहिए नदियों के विवाद को हल कर सके। अब उन्होंने कश्मीर पर सरकार के फैसले का समर्थन किया है और अमित शाह की तारीफ़ की है।
ऐसा पहली बार नहीं है कि रजनीकांत ने केंद्र की भाजपा सरकार का समर्थन किया है। इससे पहले उन्होंने विवादास्पद नोटबंदी के फैसले का भी समर्थन किया था। आने वाले समय में रजनीकांत क्या करेंगे, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। वो भाजपा की गतिविधियों को लगातार समर्थन देना जारी रख सकते हैं। वो भाजपा में शामिल हो सकते हैं या वो अलग राजनीतिक पार्टी शुरू कर सकते हैं, भाजपा के साथ गठबंधन बना सकते हैं और चुनाव लड़ सकते हैं।
हालांकि भाजपा में शामिल होने या पार्टी बनाने के बारे में अभी कोई संकेत नहीं हैं। वो अभी भी फ़िल्मों में काम कर रहे हैं और समसामयिक मुद्दों पर बयान देने तक ही अपनी राजनीतिक गतिविधियां सीमित किए हुए हैं।
तो उनकी भविष्य की योजना क्या है?
न्नाची तमिलगम संयोजक और राजनीतिक कार्यकर्ता आझी सेंथिलनाथन के अनुसार, “मैं शुरू से ही कहता रहा हूं कि रजनीकांत की राजनीति सफल नहीं होगी। ऐसा लगता नहीं है कि ज़मीनी स्तर से सदस्यों के साथ पार्टी बनाने में उनकी रुचि है। ऐसा लगता है कि मानों वो चाहते हैं कि कोई और पार्टी जीते और वो उन्हें सीट दे दे।”
वो कहते हैं, “अगर भाजपा वाकई रजनीतिकांत में रुचि रखती तो वे उन्हें तमिलनाडु में पार्टी का मुखिया बना दिए होते। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। विधानसभा चुनाव जैसे जैसे क़रीब आ रहा है, हम नहीं जानते कि नई पार्टी बनाना या एआईएडीएमके और भाजपा के साथ गठबंधन बनाना रजनीकांत के लिए कितना संभव होगा।”
लेकिन वरिष्ठ पत्रकार आर मणि का विचार है कि रजनीकांत में भाजपा की रुचि है।
वो कहते हैं, “ऐसा लगता है कि चेन्नई में किताब के विमोचन का कार्यक्रम रजनीकांत के लिए रखा गया था। असल में निमंत्रण में उनका नाम नहीं था लेकिन उन्हें बोलने के फिर भी बुलाया गया। रजनी की मौजूदगी की चाहत के ये सभी संकेत हैं।”
सेंथिलनाथन कहते हैं कि रजनीकांत के भाषण को शब्दशः नहीं लेना चाहिए। उनके अनुसार, “पहले ऐसे कई मौके आए हैं जब रजनीकांत ने तमिलनाडु के ख़िलाफ़ बोला है। उन्होंने एक बार तमिलनाडु का समर्थन किया था और वो भी कर्नाटक में जाकर माफ़ी मांग ली। अभी भी, अगर कश्मीर में उनकी फ़िल्मों का बाज़ार होता, उन्होंने इस फैसले का समर्थन नहीं किया होता। उनकी फ़िल्में ही उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण रही हैं।”
क्या करेंगे रजनीकांत
फ़िल्म उद्योग में कमल हासन को रजनीकांत का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है। उन्होंने संसदीय चुनावों के दौरान एक पार्टी बनाई मक्कल नीथी माइयम और चुनाव भी लड़ा। उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई और कुल 3.63 प्रतिशत वोट हासिल कर पाई।
इन स्थितियों में ये बहस का मुद्दा है कि क्या रजनीकांत कोई राजनीतिक पार्टी शुरू करना चाहते हैं और राजनीति में प्रवेश करना चाहते हैं।
सेंथिलनाथन कहते हैं, “अभी भी रजनीकांत को तमिलनाडु में भाजपा का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। उनके प्रशंसकों का आधार भाजपा को मदद पहुंचाएगा। लेकिन लंबे समय में ये उनकी राजनीति को कमज़ोर करेगा। रजनीकांत को राजनीति में अपने भविष्य के बारे में स्पष्ट मंशा रखनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा लगता नहीं है।”
1990 के शुरुआती दशक से ही रजनीकांत के राजनीति में आने का सवाल बना हुआ है। साल 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने डीएमके को समर्थन देने की घोषणा की थी। इसके बाद उन्होंने एडीएमके को समर्थन दिया। जब उनके और पीएमके के बीच मतभेद पैदा हुआ, उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि संसदीय चुनावों में इस पार्टी को वोट नहीं देना चाहिए।
Source : BBC
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