सोनिया गांधी को कांग्रेस नेताओं ने एक बार फिर से पार्टी की बागडोर सौंप दी है. 72 दिन यानी करीब ढाई महीने की उहापोह की स्थिति के बाद सोनिया गांधी को फिर से कांग्रेस का सिरमौर बनाया गया है. दरअसल, राहुल गांधी ने 2019 के चुनावों की हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से राहुल गांधी के मान मनौव्वल का दौर चल रहा था और नए अध्यक्ष की खोजबीन भी अंदरखाने जारी रही.
इसके लिए शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक बुलाई गई थी. कार्यसमिति के 5 ग्रुप बनाकर सभी राज्यों के नेताओं से राय मांगी गई. सभी ने एक स्वर में राहुल गांधी को अध्यक्ष बने रहने की राय सामने रख दी. शनिवार शाम को दोबारा बुलाई गई CWC की बैठक में रिपोर्ट पढ़ी गई. इसमें साफ कहा गया था कि राहुल गांधी के बिना कांग्रेस नहीं चल सकती. लिहाजा राहुल गांधी से अध्यक्ष बनने की अपील की गई. लेकिन उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति के सामने सवाल था कि अगला कौन? क्योंकि राहुल ने साफ कर दिया था कि अगला अध्यक्ष गैर-गांधी परिवार का हो, लेकिन ये भी सच्चाई सबके सामने थी कि किसी और नाम का सवाल ही नहीं उठता है. दिनभर की रायशुमारी में भी इक्का दुक्का लोगों ने ही गांधी परिवार से अध्यक्ष न होने की सूरत में किसी और का नाम दिया था.
इसी बीच, पी. चिदंबरम ने सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाये जाने का प्रस्ताव रख दिया, जिस पर सोनिया ने ‘NO’ कह दिया. बैठक में मौजूद प्रियंका गांधी ने भी इस पर ऐतराज जता दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर सोनिया तैयार हैं तो कोई क्या कह सकता है? तभी एके अंटोनी उठते हुए बोले कि ऐसा नहीं हो सकता.
इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें बैठने के लिए कहते हुए कहा कि ऐसा क्यों नहीं हो सकता? ऐसा होना ही चाहिए. जब राहुल गांधी CWC का फैसला मानने को तैयार नही हैं तो मैडम को आगे आना ही चाहिए. वहीं मौजूद अम्बिका सोनी, आशा कुमारी और कुमारी शैलजा ने कहा कि गांधी परिवार के बिना पार्टी नहीं चल सकती और सोनिया गांधी से राहुल को मनाने के लिए कहा. लेकिन सोनिया गांधी ने साफ कर दिया कि राहुल के फैसले पर वो क्या कह सकती हैं?
बस यहीं पर तीनों नेताओं ने सोनिया से साफ-साफ कह दिया कि इस सूरत में उन्हें पार्टी संभालनी ही पड़ेगी. इस बात को पूरे CWC सदस्यों के दोहराने पर आखिरकार सोनिया को मानना पड़ा. मुकुल वासनिक को अध्यक्ष बनाना तय था, लेकिन सोनिया गांधी को बोला गया कि राहुल गांधी नहीं समझ रहे, अगर कोई और अध्यक्ष बना तो विरोधी गांधी परिवार का पपेट कहेंगे. इसके बाद ही ना ना करते करते सोनिया गांधी मान गईं.