विदेश मंत्री एस जयशंकर अगले महीने चीन की यात्रा करने वाले हैं। वह दोनों देशों के बीच होने वाली दूसरी अनौपचारिक मुलाकात के लिए वहां जाकर जमीन तैयार करने का काम करेंगे। चीन के भारत में मौजूद नए दूत ने कहा कि दोनों पक्ष अपने मतभेदों को दूर करने और विश्व मंच पर सहयोग को बढ़ाएंगे। राजदूत सुन वीडोंग 21 जुलाई को दिल्ली पहुंचे हैं। उन्होंने शुक्रवार को बीजिंग में मौजूद भारतीय पत्रकारों के एक छोटे से समूह से कहा कि दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्तिगत मुद्दा द्विपक्षीय संबंधों को बाधित न करे। चीन चाहता है कि भारत एकतरफा और संरक्षणवाद के खिलाफ उसके साथ खड़ा हो।
माना जा रहा है कि जयशंकर अगस्त के मध्य में चीन की यात्रा करेंगे। वह अपने चीनी समकक्ष वांग यी और अन्य अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दूसरी अनौपचारिक मुलाकात के लिए तैयारी करेंगे। मोदी और जिनपिंग की यह मुलाकात 11 अक्तूबर को होगी।
दोनों वैश्विक नेता मुलाकात के लिए तारीख पर तो सहमत हो गए हैं लेकिन अभी तक स्थान का चयन नहीं हो पाया है। सुन एक वरिष्ठ दूत हैं। वह 2013-17 के दौरान पाकिस्तान में चीन के राजदूत रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ संबंधों को बहुत महत्व देता है और पिछले साल वुहान में हुई पहली अनौपचारिक मुलाकात के कारण रिश्ते ट्रैक पर वापस आए।
उन्होंने कहा, ‘हमें मतभेदों को दूर करने की तुलना में अपने संबंधों को आकार देने के लिए अधिक पहल करनी होगी। मुझे लगता है कि हमारे पास सहयोग के लिए बहुत क्षमता है और हमारे साझा हितों ने मतभेदों को दूर कर दिया है। इसलिए हमें सहयोग पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें व्यक्तिगत मामलों को अपने द्वीपक्षीय संबंधों के आड़े आने देना नहीं चाहिए।’
वुहान में अनौपचारिक मुलाकात एक ऐसे समय पर हुई थी जब 2017 में दोकलम में चीन और भारतीय सेना आमने-सामने आ गई थी। इस मुलाकात ने दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य करने में मदद की थी। दोनों देश दूसरी मुलाकात को लेकर आशान्वित हैं। जिससे सुरक्षा से लेकर व्यापार और निवेश तक के क्षेत्रों में रिश्तों को अधिक से अधिक मजबूत बनाया जा सके।