दिल्ली उच्च न्यायालय 17 जुलाई को राष्ट्रीय राजधानी में बिजली के बिल की गणना से संबंधित नियमों में फेरबदल करने की याचिका पर सुनवाई करेगा। दिल्ली बिजली नियम समिति (सप्लाई कोड एंड परफॉर्मेस स्टेंडर्ड्स) अधिनियम 2017 में संशोधन की मांग करते हुए अधिवक्ताओं संजना गहलोत और हरज्ञान गहलोत द्वारा दायर याचिका पर अदालत सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम 17 (4) (प्रथम) और (तृतीय) में संशोधन करने की याचिका दायर की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि प्रदेश सलाहकार समिति और डीईआरसी राष्ट्रीय राजधानी के उपभोक्ताओं और नागरिकों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रहे हैं।
याचिका में आगे लिखा है कि बिजली लोड की गणना के लिए सभी 12 महीनों की नहीं बल्कि चार महीने के औसत की गणना होती है, जिस कारण निकाला गया औसत वास्तविक औसत से ज्यादा है। याचिका में लिखा, “दिल्ली में बिजली का लोड/खपत सर्दी और गर्मी के महीनों में अलग-अलग होते हैं। सिर्फ चार महीनों की अधिकतम मांग (एमडी) का औसत लेना समझ से परे है इससे डिस्कॉम को अनुचित लाभ मिलता है।”
याचिका में सिर्फ पांच किलोवाट तक के लोड में ऑटोमेटिक लोड डिडक्शन की सुविधा देने वाले अधिनियम को भी चुनौती दी गई है।
याचिका के अनुसार, इन नियमों से उपभोक्ताओं के हितों के विपरीत दिल्ली में सभी चार डिस्कॉम्स को फायदा मिलता है।
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