चुनाव आयोग से सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए भाषणों को लेकर चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की असहमति को लेकर जानकारी मांगी गई थी। आयोग का कहना है कि आरटीआई अधिनियम के नियम 8(1) (जी) के तहत सूचना का खुलासा नहीं किया जा सकता है क्योंकि इस तरह की जानकारी किसी व्यक्ति के जीवन और उसकी शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।
आरटीआई कार्यकर्ता विहार दुर्वे ने लवासा की असहमति जताने वाली टिप्पणियों की मांग की थी। जो वर्धा में एक अप्रैल, लातूर में नौ अप्रैल, पाटन और बाड़मेर में 21 अप्रैल और वाराणसी में 25 अप्रैल को हुई रैलियों में मोदी के भाषणों से संबंधित थे। दुर्वे ने इन भाषणों के संबंध में आयोग द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया और आयोग द्वारा दिए गए निर्णय की जानकारी भी मांगी थी। इस सूचना को भी अधिनियम की धारा 8 (1) (जी) का हवाला देते हुए साझा करने से मना कर दिया गया था।
लवासा ने प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को उनके भाषणों के लिए आयोग द्वारा दी गई कई ‘क्लीन चिट’ पर कथित तौर पर असहमति जताई थी। लवासा ने अपनी असहमति वाली टिप्पणियों को चुनाव आयोग के आदेशों में दर्ज किए जाने की मांग की थी लेकिन ऐसा नहीं होने पर लवासा ने खुद को चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़े मामलों से अलग कर लिया था।
आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए मोदी और शाह के खिलाफ की गई शिकायतों में चुनाव आयोग के 11 निर्णयों पर लवासा ने कथित तौर पर असहमति जताई थी। इन निर्णयों में प्रधानमंत्री मोदी और शाह को क्लीन चिट दी गई थी। 16 मई को लवासा ने यह कह कर एमसीसी की बैठक में भाग लेने से इंकार कर दिया था जब तक अल्पसंख्यक निर्णयों को फैसलों में शामिल नहीं किया जाता वह आदर्श आचार संहिता को लेकर होने वाली बैठकों में भाग नहीं लेगें।