मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़़ा नया विधेयक मोदी सरकार आज लोकसभा में पेश करेगी। लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019′ लोकसभा में पेश किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, 17वीं लोकसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला बिल होगा जिसे केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद संसद में पेश करेंगे। वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू ने कहा है कि वह तीन तलाक के मुद्दे पर एनडीए का समर्थन नहीं करेगी।
बिहार के मंत्री श्याम रजक ने कहा, जेडीयू इसके विपक्ष में है और हम लगातार इसके खिलाफ खड़े रहेंगे।’ बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी तीन तलाक बिल का विरोध कर चुके हैं।
पिछले महीने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था। दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है।
सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था। इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था।
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।