प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से बुधवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विषय पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से कांग्रेस समेत
कई विपक्षी दलों ने किनारा कर लिया है। प्रमुख विपक्षी नेताओं के इस बैठक में शामिल नहीं होने के फैसले से मोदी सरकार की इस मुहिम को बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि जहां तक मुझे पता है, हमारी पार्टी सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं होगी।तृणमूल कांग्रेस नेता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही इस बैठक में आने से इनकार कर चुकी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और डीएमके नेता स्टालिन ने भी बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के स्थान पर इस बैठक में जयदेव गल्ला शामिल होंगे।
मायावती ने बैठक में शामिल नहीं होने की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी कोई समस्या नहीं हो सकती है और न ही चुनाव को कभी धन के व्यय-अपव्यय से तौलना उचित है। देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ की बात वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, बढ़ती हिंसा जैसी ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास व छलावा मात्र है।’
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल जरूर होंगे। कई दल बैठक में अपने प्रतिनिधि भेज रहे हैं।
केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार की वापसी के बाद एक बार फिर भारत ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) बहस छिड़ गई है। जहां समर्थक इसके फायदे गिना रहे हैं, वहीं विरोधियों का मानना है कि इससे नुकसान ही होगा। हालांकि विपक्ष के रुख देखते हुए नहीं लगता कि इस मसले पर सर्वसम्मति बन पाएगी।