संसद के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है। 26 जुलाई तक चलने वाले इस सत्र के पहले दो दिन यानी 17 और 18 जून को लोकसभा के नव निर्वाचित सभी सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी। इसके लिए प्रोटेम स्पीकर के रूप में डॉ. वीरेंद्र कुमार का चयन कर लिया गया है। 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। 20 को राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। इन सबके बीच एक कमी सभी को खलेगी। इस बार संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई बड़े चेहरे मुख्यधारा की सियासत में नजर नहीं आएंगे। इनमें से कई ऐसे हैं, जिनकी आवाज सदन में पक्ष से लेकर विपक्ष तक लंबे समय से गूंजती रही है।
अरुण जेटली
नरेंद्र मोदी की पहली सरकार के दौरान राज्यसभा के नेता और वित्त मंत्री थे। इस बार वह स्वास्थ्य कारणों से सरकार में शामिल नहीं हुए। अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री मोदी को एक चिट्ठी लिखकर कहा था कि वे उनकी नई सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं ले पाएंगे। उन्हें स्वस्थ होने के लिए अभी और समय की जरूरत है। इससे पहले भी अरुण जेटली के कैबिनेट में शामिल होने को लेकर कई तरह की कयासबाजी लगाई जा रही थी।
मल्लिकाजरुन खड़गे एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया
पिछली लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। इस बार गुलबर्गा लोकसभा सीट से भाजपा के डॉ. उमेश जाधव ने मल्लिकार्जुन खड़गे को शिकस्त दी। कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाने वाले खड़गे ने अब तक 11 चुनावों लड़े और सभी में जीत दर्ज की थी। इसके अलावा कांग्रेस के चर्चित और युवा चेहरों में शामिल ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। इस बार मध्य प्रदेश की गुना सीट से वह हार गए थे। पिछली लोकसभा में वह कांग्रेस के उपनेता थे।
नहीं दिखेंगे दो पूर्व प्रधानमंत्री
राज्यसभा में 28 साल तक असम का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कार्यकाल कुछ दिन पहले समाप्त हो चुका है। इसलिए वह भी संसद में नजर नहीं आएंगे। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। उन्होंने इस बार कर्नाटक की तुमकुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन यहां से भाजपा के जीएस बसवाराजू से वह हार गए।
आडवाणी और जोशी समेत ये चेहरे में नहीं आएंगे नजर
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज और उमा भारती ने इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। ऐसे में ये दिग्गज नेता भी लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। इसके अलावा भी विभिन्न दलों के तमाम नेता इस बार संसद में दिखाई नहीं देंगे। इनमें से ज्यादातर विपक्षी दलों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं, जो चुनाव में जनता का विश्वास न जीत पाने के कारण इस बार लोकतंत्र के मंदिर में नहीं पहुंच सके। वहीं मोदी की सुनामी के बावजूद भाजपा के भी कई नेताओं को इस बार संसद में सत्ता पक्ष की बेंच में बैठने की जगह नहीं मिल सकी है।