भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के बारह अफसरों को सेवा से हटाए जाने के बाद भारत सरकार इसी तरह की कार्रवाई उन सिविल सेवा (आईएएस) और पुलिस सेवा (आईपीएस) के अफसरों के खिलाफ भी शुरू करने जा रही है जिनके खिलाफ अनियमितता, अनुशासनहीनता या भ्रष्टाचार के मुकदमे लंबे समय से लंबित हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार यह कदम प्रधानमंत्री कार्यालय की पहल पर उठाया जा रहा है। पीएमओ ने कार्मिक विभाग (डीओपीटी) और गृह विभाग से बात कर 21 अफसरों की एक सूची बनाई है जिनके खिलाफ काफी लंबे समय से जांच चल रही है। कुछ राज्य सरकारों ने भी अपने काडर से ऐसे अधिकारियों के नाम केंद्र को भेजे हैं। इनमें 10 आईपीएस अफसर हैं और 11 आईएएस अधिकारी।
सरकार ने इन अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच की ताजा स्टेटस रिपोर्ट तलब की है, चाहें वह विभागीय जांच हो या सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर विभाग की जांच हो। जैसे ही स्टेटस रिपोर्ट आएंगी इन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, आईआरएस अधिकारियों की तरह इनकी भी सेवाएं समाप्त किए जाने की आशंका है। आईपीएस अधिकारियों का काडर केंद्रीय गृह मंत्रालय नियंत्रित करता है जबकि आईएएस अधिकारियों का काडर डीओपीटी के तहत होता है। केंद्र सरकार के निर्देशों पर इन अधिकारियों का काडर कंट्रोलिंग अथारिटी से आदेश जारी किए जाएंगे। यदि इनमें से कोई अधिकारी सेवानिवृत्त हो गया होगा तो उसका मामला जांच पूरी करने के लिए सीबीआई के सौंप दिया जाएगा।
मजबूत और स्वच्छ प्रशासन
दरअसल मोदी सरकार अपनी दूसरी पारी में एक मज़बूत, कुशल और स्वच्छ प्रशासन देना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों और मंत्रियों को पहले ही सत्ता के प्रलोभनों से बचने की चेतावनी दी है। उन्हें ट्रांस्फर-पोस्टिंग की सिफारिशों न करने की सलाह दी है। लेकिन आईएएस और आईपीएस अफसरों की लॉबी बहुत मजबूत होती है। माना जा रहा है कि उनमें व्याप्त भ्रष्ट तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस केवल मोदी सरकार ही दिखा सकती है।