खाद्य पदार्थो की कीमतों में वृद्धि से चिंतित केंद्र सरकार ने मूल्यों पर अंकुश लगाने की कोशिश तेज कर दी है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने इस माह के अंत में सभी राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक बुलाई है। ताकि, मंहगाई पर काबू पाने के उपायों पर विचार किया जा सके। सचिवों की 27 जून को होने वाली इस बैठक में खाद्यान्न को लेकर राज्य सरकारों के साथ बेहतर तालमेल और एकीकरण पर भी चर्चा होगी।
दाल, सब्जी, चीनी और ईंधन की कीमतों में पिछले एक माह इजाफा हुआ है। सरकार की शुरुआती कोशिशों के बावजूद दाल और दूसरे खाद्य पदार्थो के मूल्यों में वृद्धि का रुझान जारी है। दालों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने अरहर की दाल आयात करने का फैसला किया है। पर इसके साथ सरकार कालाबाजारी और जमाखोरी के खिलाफ भी कड़े कदम उठाना चाहती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दाल की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए स्टॉक लिमिट तय की जा सकती हैं। अरहर के मूल्यों में तेजी के बाद सरकार ने तीन दिन पहले मोजाम्बिक से समझौते के तहत इस साल 1.75 लाख टन अरहर दाल आयात करेगे। इसके साथ केंद्र सरकार ने दालों के बफर स्टॉक से दो लाख टन अरहर दाल को भी बाजार में बेचने का निर्णय किया है।
दरअसल, खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) में वृद्धि हुई है। आंकड़ो के मुताबिक खुदरा महंगाई दर 2.92 फीसदी से बढकर 3.05 फीसदी हो गई हैं। इससे पहले अक्तूबर 2018 में खुदरा महंगाई दर 3.38 फीसदी थी। यानि, पिछली सात माह में खुदरा महंगाई दर मई में सबसे उच्च स्तर पर है। हालांकि, थोक महंगाई पर थोडी राहत मिली है। मई माह में थोक महंगाई 2.45 फीसदी पर आ गई। जबकि अप्रैल में यह 3.07 प्रतिशत पर थी। यह थोक महंगाई दर 22 साल में सबसे कम हैं।