तीन महीने तक चले लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग और सीएजी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सभी संवैधानिक संस्थाओं को प्रचार का हिस्सा बना दिया गया था। ऐसे ही प्रयास राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लेकर भी हुए लेकिन यदि वे विवाद से बच पाए तो उसके पीछे उनकी सोची समझी रणनीति थी – मीडिया और राजनीतिक दलों से दूर रहने की। मार्च से मई तक तीन महीनों के दौरान वे किसी राजनीतिक दल के प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिले, न किसी ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया जहां विवाद की संभावना हो और किसी भी आरोप का जवाब नहीं दिया। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने इतनी सावधानी इसलिए बरती क्योंकि वे लंबे समय तक एक राजनीतिक दल से संबद्ध रहे और नहीं चाहते थे कि उनके किसी कदम पर, बयान पर या फैसले पर कोई उंगली उठाए।
राष्ट्रपति ने खुद को ऐसे रखा चुनावी विवादों से दूर, विपक्ष ने भी की सराहना
