35-40 की उम्र के बाद व्यक्ति के शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। आजकल युवावस्था में ही लोग मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि का शिकार हो जाते हैं। यही कारण है उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई जानलेवा रोगों के खतरे भी बढ़ते जाते हैं। स्वास्थ्य पर ध्यान न देने के कारण ही आजकल कम उम्र में हार्ट अटैक, कैंसर आदि के मामले काफी बढ़ गए हैं। कुछ ऐसे हेल्थ चेकअप्स हैं, जिन्हें हर पुरुष को 35 साल की उम्र के बाद साल भर में 1 बार जरूर करवाने चाहिए। आइए आपको बताते हैं वो हेल्थ चेकअप्स।
बीएमआई की जांच करवाएं
बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स एक साधारण सी स्वास्थ्य जांच है। बीएमआई में व्यक्ति की लंबाई और उसके वजन का अनुपात निकाला जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वो कितना स्वस्थ है। मोटापा आजकल एक बड़ी समस्या है। मोटापा स्वयं कोई रोग नहीं है मगर ये कई तरह के रोगों का कारण बन सकता है। 18.5 से 24.9 के बीच का बीएमआई सही माना जाता है। अगर आपका बीएमआई इससे ज्यादा है, तो आप अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव करें।
दांतों की जांच
आपको जानकर हैरानी होगी कि आपके दांतों और दिल का आपस में गहरा संबंध है। दांतों में होने वाले कई सामान्य लगने वाले रोग हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं। इसलिए हर साल अपने दांतों की जांच जरूर करवाएं। मसूड़ों में होने वाली किसी भी समस्या को सामान्य न समझें।
ब्लड शुगर चेक कराएं
ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ जाने पर डायबिटीज हो जाता है। हालांकि शुरुआत में इसके ज्यादा लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसलिए 35 की उम्र के बाद साल में 1-2 बार अपना ब्लड शुगर लेवल जरूर चेक करवाना चाहिए। अगर सही समय पर डायबिटीज का पता चल जाए, तो दवाओं और जीवनशैली में बदलाव के द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। समस्या बढ़ जाने पर डायबिटीज का कोई इलाज उपलब्ध नहीं हैं।
कोलेस्ट्रॉल चेक कराएं
बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के कारण दिल की बीमारियां जैसे- हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, हार्ट ब्लॉक आदि का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल कोलेस्ट्रॉल बढ़न के कारण धमनियों में प्लाक जमना शुरू हो जाता है, जो खून के बहाव (ब्लड सर्कुलेशन) को बाधित करता है। इसलिए साल में कम से कम 1 बार अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल जरूर चेक कराएं। इससे आप हार्ट अटैक के खतरों से बच सकते हैं।
मेटाबॉलिज्म की जांच कराएं
आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म पर ही आपका स्वास्थ्य निर्भर करता है। अगर आपका मेटाबॉलिज्म कमजोर है, तो आपको कई रोगों जैसे- डायबिटीज, मोटापा, कमजोरी आदि का खतरा बढ़ जाता है। मेटाबॉलिक सिंड्रोम लक्षणों का ऐसा समूह होता है, जिसके कारण डायबिटीज और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इन लक्षणों के दिखने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम की जांच की जाती है।
- कमर का आकार 40 या उससे अधिक
- गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 40 मिग्रा/डेलि से कम
- ट्रिग्लाईकेरिडस का स्तर 150 मिग्रा/डेलि से अधिक
- रक्तचाप 130/85 से अधिक होना
- फास्टिंग ग्लूकोज का स्तर 100 से अधिक होना
अगर आपको इनमें से कोई भी तीन लक्षण नजर आते हैं, तो आपका डॉक्टर सी-रेएक्टिव प्रोटीन यानी सीआरपी जांच भी कर सकता है। हृदय की सेहत पर नजर रखने का यह सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।
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