प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल की तरह ही दूसरे कार्यकाल में भी अपनी पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए पड़ोसी देश का चयन किया है। इस बार भूटान की जगह मालदीव उनकी विदेश यात्रा का पहला पड़ा होगा। वह अगले सात महीनों में इतने ही देशों में छह अहम बैठकों में शामिल होकर वैश्विक राजनीति में भारत की भावी भूमिका को रेखांकित करेंगे। फिलहाल दुनिया की नजरें 13 जून को किर्गिस्तान में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक पर है। यहां मोदी की अपने पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान से मुलाकात होगी। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, पीएम की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा के लिए मालदीव को चुने जाने का फैसला हो चुका है। वह 7 और 8 जून को मालदीव की आधिकारिक यात्रा पर होंगे। वह अपने समकक्ष इब्राहिम मोहम्मद सालेह से द्विपक्षीय वार्ता के साथ भारत की मदद से शुरू हो रही कुछ अहम योजनाओं का शिलान्यास करेंगे। सियासी उथलपुथल के बीच पूर्ववर्ती मालदीव सरकार चीन के करीब चला गया था लेकिन पिछले साल सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार का रुख भारत के पक्ष में है।
पीएम मोदी मालदीव के इतर अगले सात महीनों के दौरान छह देशों में अहम बैठकों में शिरकत करेंगे। उनकी योजना 13 जून को किर्गिस्तान में एससीओ, जापान में जी20, फ्रांस में जी7, रूस में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम, थाईलैंड में ईस्ट एशिया सम्मेलन और ब्राजील में ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में शिरकत करने की है। इन बैठकों में पीएम का मकसद आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ताकतवर देशों का समर्थन हासिल करना, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता हासिल करने और संयुक्त राष्ट्र में वीटो के अधिकार के साथ स्थायी सदस्यता हासिल करने का होगा।
एससीओ तय करेगा भारत-पाक के रिश्तों का रास्ता
रिश्तों में आई तल्खी के बीच भारत और पाकिस्तान के भावी रिश्तों का इशारा किर्गिस्तान में होने वाली एससीओ की बैठक से मिलेगा। इसमें पीएम मोदी की अपने पाकिस्तानी समकक्ष इमरान से पहली मुलाकात होगी। चुनाव नतीजे आने के बाद पाकिस्तान बार बार भारत से बातचीत की पेशकश कर रहा है। अगर यहां पीएम मोदी और इमरान के बीच बैठक हुई तो बातचीत का फार्मूला निकल सकता है। हालांकि भारत फिलहाल पाकिस्तान को कोई खास तवज्जो देता नहीं दिख रहा है।