1979. अगस्त-सितंबर का वो समय. जब टीम इंडिया ताजा-ताजा वर्ल्डकप में बुरी तरह पिट के आई थी और पहुंच गई थी इंग्लैंड . वहीं जहां इस वक्त टीम इंडिया पहुंची हुई है. तब चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने. पहले मैच में मिली हार. फिर दूसरा और तीसरा टेस्ट मैच हुआ ड्रॉ. सीरीज 0-1 पर थी. टीम इंडिया के पास चौथे मैच में जीतकर सीरीज ड्रा करने का मौका था. फिर जो हुआ वो जीत तो नहीं थी, मगर जीत से कम भी नहीं थी. हम उस मैच की बात कर रहे हैं जिसमें टीम इंडिया के सामने चौथी इनिंग में 438 रनों का टार्गेट था. टीम टार्गेट चेज तो न कर सकी. मगर हारी भी नहीं. और तो और इंग्लैंड की सांसें भी अटका दीं. मात्र 9 रन और बन जाते तो मैच टीम इंडिया के हाथ आ जाता.
मैच तो चल रहा था द ओवल के ग्राउंड पर. पहले बैटिंग करते हुए इंग्लैंड ने 305 रन बनाए. सबसे ज्यादा 79 रन ग्राहम गूच ने बनाए. फिर आई इंडिया की फर्स्ट इनिंग. पूरी टीम 202 रन पर निपट गई. सबसे ज्यादा 62 रन गुंडप्पा विश्वनाथ ने बनाए. न ऊपरी क्रम के बल्लेबाज सुनील गावस्कर चले न चेतन चौहान. नीचे कपिल देव भी कुछ न कर सके. फिर आई इंग्लैंड की सेकंड इनिंग. उस वक्त इंग्लैंड के धाकड़ बल्लेबाज जोफरी बॉयकाट ने सेंचुरी जड़ दी. 125 रन बनाए. इंग्लैंड ने ये पारी 334 रन के स्कोर पर घोषित कर दी. तब तक उनके 8 विकेट गिर चुके थे और 437 रनों की लीड चढ़ चुकी थी.
अब 438 रनों का टार्गेट था भारत के सामने. इंग्लैंड तो मान के बैठी थी कि मैच अंदर. मानने वाली बात ही थी. क्योंकि पिछली ही इनिंग में भारत 202 पर घुस गई थी. फिर तब तक विदेशी टूरों पर खेले 15 टेस्ट मैचों में भारत ने सिर्फ 7 बार 300 रनों का आंकड़ा पार किया था. और अभी करीब 500 मिनट का खेल बचा था. मगर इन सारे रिकॉर्ड्स को तोड़ डाला टीम इंडिया ने. ओपनिंग में आए सुनील गावस्कर और चेतन चौहान. एकदम तगड़ी वाली शुरुआत कर दी. चौथे दिन का खेल खत्म होने तक इंडिया का स्कोर था 76 रन पर 0 विकेट.
अब पांचवे दिन टीम इंडिया को जीत के लिए 362 रन चाहिए थे. द ओवल का मैदान उस दिन खाली पड़ा था. सब मान के बैठे थे कि टीम इंडिया को हारना ही है. मगर फिर मैच धीरे-धीरे रोमांचक होता गया. गावस्कर और चौहान एक बार फिर मैदान पर उतरे. पहले सेशन में दोनों ने 93 रन और बनाए और टीम का स्कोर हो गया 169 रन. अब सबको लगने लगा कि लग रहा है मैच ड्रॉ हो जाएगा. फिर ड्रिंक्स तक इंडिया का स्कोर हो गया 213 रन. हालांकि अब एक विकेट गिर चुका था. चेतन चौहान 80 रन बना के आउट हो चुके थे. फिर आए दिलीप वेंगसरकर. वो भी टिक गए. तब तक इंडिया का स्कोर एक विकेट खोकर 304 रन हो गया.
इंग्लैंड को अब मैच पलटता नजर आने लगा. उसे लगा कि कहीं इंडिया ये टार्गेट चेज न कर ले. सो उसने ओवर धीरे-धीरे करवाने शुरू कर दिए. अगले आधे घंटे में केवल 6 ओवर डाले. स्कोर हो गया 328 पर 1 विकेट. अब बचे थे 20 ओवर और जीत के लिए चाहिए थे 110 रन. गावस्कर अब अपने दोहरे शतक की तरफ बढ़ रहे थे. साथ ही टीम इंडिया जीत की तरफ जाती दिख रही थी. फिर गावस्कर ने चौथी इनिंग में दोहरा शतक मारने का करिश्मा किया. टीम इंडिया को अब 12 ओवरों में जीत के लिए 76 रन चाहिए थे. स्कोर था 366 रन. 9 विकेट हाथ में थे.
मगर फिर गावस्कर और वेंगसरकर के बीच हुई 153 रनों की पार्टनरशिप टूट गई. वेंगसरकर पचासा मारकर आउट हो गए. उनके बाद आए कपिल देव जिन्हें आज हर उभरते ऑलराउंडर में ढूंढा जाता है. वो अपना खाता भी नहीं खोल सके. 0 पर निकल लिए. कप्तान वेंकटराघवन को इस फैसले के लिए अब तक कोसा जाता है क्योंकि उन्होंने कपिल देव को बैटिंग ऑर्डर में प्रमोट किया था. सबसे ज्यादा चौंकाया इस बात ने कि पिछली इनिंग में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले गुंडप्पा विश्वनाथ को पांचवे विकेट के गिरने के बाद मैदान पर भेजा गया. मगर कुछ देर बाद मैच का असली हीरो गावस्कर आउट हो गए. उन्होंने 221 रन की पारी खेली. गावस्कर ने अपनी इस इनिंग में 443 बॉलें खेलीं. 21 चौके लगाए. जब वो लौटे तो पूरे मैदान ने खड़े होकर उनका इस्तकबाल किया.
और यहीं से मामला गड़बड़ा गया. विश्वनाथ और गावस्कर की जोड़ी टूट चुकी थी. वो जोड़ी जिसने एक बार मिलकर 403 रन का टार्गेट चेज किया था. टेस्ट क्रिकेट की दूसरी सबसे बड़ी चेज. खैर विश्वनाथ ने मारने की कोशिश शुरू की. 2 चौके लगाए. मगर वो भी 11 बॉल पर 15 रन बनाकर आउट हो गए. बल्लेबाजी क्रम में एक और कबाड़ा कप्तान वेंकटराघवन ने तब किया जब वो खुद कर्सन घवरी से ऊपर बल्लेबाजी करने आ गए जोकि उनसे अच्छे बल्लेबाज थे. आलम ये हुआ कि टीम इंडिया के इस चक्कर में 8 विकेट हो गए.
आखिरी ओवर में टीम इंडिया को जीतने के लिए 15 रन चाहिए थे. 2 विकेट थे हाथ में. पर बन सिर्फ 6 सके. भारत 9 रन से चूक गया. वरना उस दिन इतिहास रच देता. खैर मैच ड्रॉ हुआ, मगर टीम इंडिया ने बता दिया कि वो कितने रन भी बना सकती है. इंग्लैंड में जाकर चौथी इनिंग में 300 क्या, 400 का भी आंकड़ा पार कर सकती है. मैच के बाद गावस्कर को उनकी इस इनिंग का इनाम भी मिला. कप्तान वेंकटराघवन को हटाकर उन्हें कप्तान बना दिया गया. इस मैच से खैर अब की टीम इंडिया को काफी कुछ सीखना चाहिए. सीखना ये चाहिए कि भले मैच जीतो मत, मगर कमसेकम हारो तो नहीं. नतमस्तक होकर. सबसे ज्यादा तो सीखना चाहिए गावस्कर से कि कैसे टिकना होता है चौथी इनिंग में. बंदे ने अकेले 221 बना दिए थे. अब हाल ये है कि भारतीय टीम मिलकर 245 रन नहीं बना सकी.
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