चुनाव के साथ शुरू हुआ था ईवीएम पर बवाल, अब तक थमे नहीं सवाल

अभी लोकसभा चुनाव के सिर्फ एग्जिट पोल आएं हैं लेकिन ईवीएम पर सवालों का जिन्न फिर बाहर निकल आया है. सोमवार देर रात ईवीएम बदलने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस और गठबंधन के प्रत्याशियों ने हंगामा किया. गाजीपुर में जिला प्रशासन और पुलिस से नोकझोंक के बाद गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी धरने पर बैठ गए. मिर्जापुर में कांग्रेस प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी ने स्ट्रॉन्ग रूम में अतिरिक्त 300 ईवीएम रखने की बात कहकर ईवीएम बदलने का आरोप लगाया है.

इतना ही नहीं, EVM के साथ छेड़छाड़ की आशंका और एग्जिट पोल के आंकड़ों के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक ऑडियो जारी कर कार्यकर्ताओं से कहा कि आप लोग, अफ़वाहों और एग्जिट पोल से हिम्मत न हारें. इससे पहले, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी इसलिए जीती है क्योंकि वहां जानबूझकर ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की गई है ताकि कोई सवाल न खड़े कर सके. लेकिन जो एग्जिट पोल आ रहे हैं उनसे लगता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है.

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट किया कि मैं एग्जिट पोल के गॉसिप पर भरोसा नहीं करती. गेम प्लान यह है कि इस गॉसिप के जरिए ईवीएम से छेड़छाड़ की जाए या फिर हजारों ईवीएम को बदल दें. मैं सभी विपक्षी दलों से अपील करती हूं कि एकजुट रहें, मजबूत और हिम्मती रहें. हम इस लड़ाई को साथ मिलकर लड़ेंगे. सभी विपक्षी पार्टियों ने एग्जिट पोल के दावों को खारिज करते हुए स्ट्रॉन्ग रूम में रखे ईवीएम मशीन पर निगरानी रखने के लिए अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है. इन दलों को आशंका है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है. विपक्ष का कहना है कि इस चुनाव में एनडीए की हार होगी.

कांग्रेस सरकार ने दिया था ईवीएम के उपयोग का अधिकार

कांग्रेस ईवीएम पर शोर मचा रही है लेकिन राजीव गांधी शासनकाल के दौरान दिसंबर 1988 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन कर नई धारा 61ए को जोड़ा गया था, जिसके तहत वोटिंग मशीनों के उपयोग के लिए आयोग को अधिकार दिया गया. संशोधित प्रावधान 15 मार्च 1989 से प्रभावी हुआ. 2001 के बाद ईवीएम में छेड़छाड़ के मसले को विभिन्न हाई कोर्ट में पहुंचाया. लगभग सभी अदालतों ने ईवीएम की तकनीकी सुदृढ़ता और प्रशासनिक उपायों के पहलुओं पर गौर करने के बाद यह पाया कि भारत में ईवीएम विश्वसनीय और पूरी तरह छेड़छाड़ मुक्त है.

सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीनों पहले मतदान के लिए ईवीएम मशीनों का विरोध करने वालों को बड़ा झटका दिया था. बैलेट पेपर से मतदान कराने की याचिका खारिज कर दी थी. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था कि हर मशीन के दुरुपयोग की संभावना रहती है. हर सिस्टम पर संदेह जताया जा सकता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी ईवीएम का वीवीपैट से मिलान करने की 21 विपक्षी दलों की मांग को भी खारिज कर दिया था. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू समेत 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने वीवीपैट के औचक मिलान को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी.

जब चुनाव आयोग ने दी थी ईवीएम से छेड़छाड़ की चुनौती, पर कोई सामने नहीं आया

देश में कई राजनीतिक दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठाए हैं. लेकिन चुनाव आयोग लगातार यह कहता आ रहा है कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं हो सकती. उसने तो ईवीएम से छेड़छाड़ साबित करने वालों को चुनौती भी दी थी लेकिन आयोग की चुनौती को किसी दल ने स्वीकार नहीं किया.

1990 में पहली बार लोगों ने देखी थी ईवीएम

ईवीएम का आविष्कार 1980 में एम.वी. हनीफा ने किया था. इसे सबसे पहले 1990 में तमिलनाडु के 6 शहरों में आयोजित सरकारी प्रदर्शनी में जनता ने देखा. फिर चुनाव आयोग ने इसके उपयोग पर विचार किया. पहली बार इसका उपयोग 1998 में केरल के नार्थ पारावूर विधानसभा क्षेत्र के लिए होने वाले उपचुनाव के कुछ मतदान केंद्रों पर किया गया. केंद्र में कांग्रेस सरकारों के दौरान भी ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल बढ़ा. 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से देश में प्रत्येक लोकसभा और विधानसभा चुनावों में ईवीएम का उपयोग होने लगा.

अब जबकि भारतीय लोकतंत्र का विस्तार हो रहा है और पूरे देश में एक साथ चुनाव कराना आयोग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है तो ऐसे में ईवीएम को लेकर सवाल उठना बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.