नतीजों से पहले ही ममता, माया और अखिलेश दे सकते हैं विपक्षी एकता को झटका?

नई दिल्ली- मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए चला गया कांग्रेसी दांव 23 मई से पहले ही झटके खाता दिख रहा है। खबरें हैं कि 19 तारीख के चुनाव के बाद दिल्ली में कांग्रेस की ओर से बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), मायावती (Mayawati) और उनके सहयोगी समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) नदारद रह सकते हैं।

 

ममता-माया ने कहा क्या?

एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि तीन मुख्य विपक्षी नेताओं के कांग्रेस की इस मीटिंग में आने की संभावना नहीं है। जानकारी के मुताबिक इस सिलसिले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) जब पिछले हफ्ते बंगाल पहुंचे और ममता बनर्जी से मिले, तो उन्हें इसको लेकर मना कर दिया गया। खबरें हैं कि ममता (Mamata Banerjee)ने नायडू से यह कहा कि 23 मई को नतीजे आने से पहले इस तरह की मीटिंग का कोई मतलब ही नहीं है। ऐसा ही नकारात्मक उत्तर मायावती (Mayawati)की तरफ से भी आने की जानकारी है। यूपी में अभी बुआ और बबुआ का जिस तरह का तालमेल है, उससे यह भी लगभग तय है कि शायद ही अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) 23 तारीख के नतीजों से पहले माया की बात काटने की साहस करें।

मीटिंग में नहीं जाने का ये हो सकता है कारण

जानकारी ये मिल रही है कि सबके मन में यही सवाल है कि अगर नतीजे बीजेपी के खिलाफ रहे तो सबसे बड़ा मुद्दा, पीएम पद का उठेगा। गौरतलब है कि मायावती (Mayawati) ने इशारों में अपने वोटरों के सामने अपनी इच्छा भी जाहिर की हुई है, लेकिन ममता ने इसे अभी तक अपने दिल में दबाकर रखा है। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम तो एमके स्टालिन समेत कुछ सहयोगी भी उठा चुके हैं। हालांकि, शरद पवार एक तरह से उन्हें खारिज भी कर चुके हैं। इसी तरह ममता ने अपनी जुबान से भले ही कुछ नहीं बोला हो, लेकिन उनकी पार्टी के नेता उन्हें पीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश करने से पीछे भी नहीं रहे हैं। उधर साउथ में एक लॉबी के इस काम पर लगे होने की भी अटकलें हैं कि अबकी बार प्रधानमंत्री दक्षिण भारत से ही बने।

 

राहुल की मुश्किल

इस चुनाव में कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किल ये दिखाई दे रही है कि ममता और माया ने कांग्रेस को निशाना भी बनाया है, तब भी वो उसका उस अंदाज में जवाब देने से बचते रहे हैं। राहुल तो मायावती को नेशनल सिंबल बताकर उनके आदर-सम्मान की बात कर चुके हैं। लेकिन, उन्होंने ममता के लिए ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। अलबत्ता, ममता के हमलों के बावजूद भी वे उनपर ज्यादा आक्रामक नहीं हो पाए हैं। शायद उनके मन में भी यही बात है कि 23 मई के बाद उन्हें उनका ही समर्थन लेना पड़ सकता है। जबकि, माया और ममता ने अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस के साथ तालमेल से परहेज किया है। बीएसपी सुप्रीमो तो मध्य प्रदेश में बार-बार कमलनाथ सरकार से अपनी पार्टी का समर्थन वापस लेने की धमकी भी देती रही हैं। शनिवार को वो राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर भी अलवर रेप केस को लेकर हमलावर हो चुकी हैं। ऐसे में यह मोदी-विरोधी मोर्चा कितनी दूर तक जाएगा इसपर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।