पत्नी से भावनात्मक जुड़ाव भी जरूरी है

विवाह के उपरांत सबसे नजदीकी और प्रिय रिश्ता होता है पति-पत्नी का। लड़की अपने परिवारजनों को छोड़कर नए परिवेश में दाखिल होती है। उसके लिए नया घर, नए लोगों के बीच में रहना, नए वातावरण में स्वयं को ढालना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है।

ऐसे में प्रिय पति का कुछ सहयोग उसे मिल जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है। उसमें यह आत्मविश्वास जागृत हो जाता है कि उसे समझने और समझाने वाला उसके साथ है। ऐसे में हंसते खेलते वह स्वयं को नए वातावरण में ढाल लेती है।

प्रेम-विवाह होने पर भी परिवार के अन्य सदस्य उसके लिए नए होते हैं। पति यदि समझदार हो तो जीवन की नाव आसानी से जीवन रूपी दरिया को पार कर लेती है। इसके लिए पति को चाहिए कि:-

– पत्नी से शारीरिक जुड़ाव के साथ भावनात्मक जुड़ाव अवश्य रखें। उसे अहसास करवाएं कि वह अकेली नहीं है, आप उसके साथ हैं।

– उसे किसी भी बात और कार्य को मानने और करने के लिए बाध्य न करें। विचार विमर्श करें और धैर्य से काम लें।

– पत्नी की कमियों को परिवार और मित्रों के बीच उजागर न करें।

– पत्नी की काबिलियत और अच्छे संस्कारों की इज्जत और सराहना करें। यदि पत्नी पढ़ाई या नौकरी में आगे बढऩा चाहती है तो उसकी सहायता करने से न हिचकिचाएं। पत्नी को उसके परिवार के समारोहों में खुशी से जाने दें। कोशिश करें कि स्वयं भी उसका साथ दें। मजबूरी होने पर अकेला भेजने में न हिचकिचाएं।

– पत्नी के मायके आने जाने पर अधिक रोकटोक न करें। स्वयं भी छुट्टी वाले दिन ससुराल में कुछ समय बिताएं।

– पत्नी को घर संभालना पड़ता है, यह उसकी आवश्यक जिम्मेदारियों में से एक है परन्तु उसे नौकरानी न समझ कर यथासंभव उसकी मदद करें।

– यह ध्यान रखें कि परिवार के सदस्य और स्वयं आप भी बिना किसी वजह के पत्नी पर हुक्म न चलाएं।

– अपने रिश्तेदारों के साथ-साथ पत्नी के रिश्तेदारों को भी पूरा सम्मान दें।

– पत्नी को भी अधिकार दें कि वह अपनी बात आप तक रख सके।

– पारिवारिक और बाहरी विषयों पर फैसला करते समय पत्नी से भी सलाह लें और उसकी इच्छा को जानने का प्रयास करें।

– पत्नी को पारिवारिक समारोहों में साथ रखें। मित्रों के यहां भी अपने साथ लेकर जाएं।

– कुछ समय पत्नी को भी दें। उसे घुमाने ले जाएं। छुट्टी वाले दिन परिवार में रहकर समय बिताएं।

– अपने परिवार में कोई लेन देन करने से पहने पत्नी से सलाह अवश्य लें, पत्नी से लुकाव छिपाव न करें। पूरी ईमानदारी बरतें क्योंकि पत्नी का साथ कोई क्षणिक नहीं है।

– घरेलू तथा बाहरी कामों में यथासंभव सहयोग दें। बच्चों की जिम्मेदारियां मिल कर निभाएं। दु:ख सुख, पढ़ाई लिखाई पर मिल कर पूरा ध्यान दें।

– पत्नी के साथ तालमेल बैठाने के साथ-साथ परिवार वालों को नजरअंदाज न करें।

– मिल जुल कर हंसते-खेलते समय बिताएं। तनाव भरी जिंदगी में दुख ही दुख भरे हैं।

– इस प्रकार पति में समझदारी और धैर्य का होना अति आवश्यक है क्योंकि वह परिवार और पत्नी के बीच पुल का काम करता है। यदि पुल मजबूत होगा तो परिवार को भी मजबूत आधार मिलेगा।

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