चौथे चरण में पिछली बार जैसी वोटिंग, किसे होगा नुकसान-किसे फायदा?

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 9 राज्यों की 72 सीटों पर सोमवार को करीब 64 फीसदी मतदान हुआ. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 72 सीटों पर मतदान प्रतिशत 64.64 रहा था. इस तरह से 0.64 फीसदी के करीब कम वोटिंग हुई है. इस बार जिस तरह कम वोटिंग हो रही है, उससे राजनीतिक दलों की धड़कने बढ़ गई हैं. हालांकि वोटिंग ट्रेंड को राजनीतिक दल अपने-अपने नफा और नुकसान के नजरिए से देख रहे हैं, लेकिन वोटरों की खामोशी उन्हें बेचैन कर रही है.

चौथे चरण में सबसे ज्यादा वोटिंग पश्चिम बंगाल में 76.72 फीसदी हुई और सबसे कम जम्मू-कश्मीर में 9.79 फीसदी रही. उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर 57.86 फीसदी मतदान रहा, जबकि 2014 58.29 फीसदी रहा. इस तरह से करीब आधा फीसदी कम रहा.

चौथे चरण में 9 राज्यों की 72 सीटों पर चुनाव हुए हैं. उनमें सबसे बड़ी प्रतिष्ठा बीजेपी की लगी हुई है. 2014 में बीजेपी इन 72 सीटों में से अकेले 45 सीटें जीतने में कामयाब रही थी और कांग्रेस को महज 2 सीटें मिली थी. हालांकि 2014 में 2009 से 15.42 फीसदी ज्यादा वोटिंग हुई थी.

2014 में वोट फीसदी के बढ़ने का बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिला था. बीजेपी को सीधे 37 सीटों का फायदा मिला और कांग्रेस को 28 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. इन दोनों दलों के अलावा नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी को 6, टीएमसी को 6 , शिवसेना को 9, एलजेपी को 2 और सपा को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी.

2014 में बीजेपी जिन 45 सीटों को जीती थी, उनमें राजस्थान की सभी 13 सीटें, यूपी की 13 में से 12 सीटें और मध्य प्रदेश की 6 सीटों में से 5 बीजेपी ने जीती थी. महाराष्ट्र की 17 सीटो में से शिवसेना 9 और बीजेपी 8 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. झारखंड की 3 सीटें बीजेपी जीती थी.

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से पिछले चार चरण में 39 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. जबकि देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से अभी तक 374 सीटों पर मतदान का सफर पूरा हो गया है. इस तरह से अब 10 राज्य और 2 केंद्रशासित प्रदेश की 169 सीटें बची हैं, जहां वोटिंग होनी है.