कौन हैं बीजेपी के चाणक्य ? पढ़ें पूरी कहानी

अमित शाह (जन्म: 22 अक्टूबर 1964) एक भारतीय राजनेता और भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष हैं।वे भारत के गुजरात राज्य के गृहमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के महासचिव रह चुके हैं। शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक व्यापारी के घर हुआ था। वे गुजरात के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते है। उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है। मेहसाणा में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की, उसके बाद अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुयी। 1983 में वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीतिक रुझान बना।

 

1989 से 2014 के बीच शाह गुजरात राज्य विधानसभा और विभिन्न स्थानीय निकायों के लिए 42 छोटे-बड़े चुनाव लड़े, लेकिन वे एक भी चुनाव में पराजित नहीं हुये।गुजरात के विधान सभा चुनाव में उनकी उपलब्धियां इसप्रकार है-

अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी अपने स्वर्णिम दौर में चल रही है। अमित शाह बीजेपी के सबसे कामयाब अध्यक्ष हैं। यह हम नहीं बल्कि जीत के आंकड़े बता रहे हैं। शाह को राजनीति में जोड़तोड़ का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। आपको याद दिला दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को यूपी में प्रचंड बहुमत मिला था। यूपी की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 71 सीटों पर बीजेपी और दो सीटों पर सहयोगी अपना दल को जीत हासिल हुई थी। इस जीत के पीछे भी जो चेहरा और मेहनत थी वह अमित शाह की ही थी। अमित शाह इस जीत के लिए 2012 से लगातार यूपी में पसीना बहा रहे थे।  इतनी बड़ी जीत उसी अथक प्रयास का नतीजा थी।  अब जब 2019 नजदीक है अमित शाह ने एक बार फिर यूपी का रुख कर लिया है। स्पष्ट है कि वे 2019 में बीजेपी की लाइन और बड़ी करने का प्लान बना चुके हैं।

राजनीति के इस समय में तमाम नेता उनमें एक ऐसा शख्स देख रहे हैं जो कोई चुनाव जीतने का माद्दा रखता है। 53 साल के शाह तीन चीजों में यकीन रखते हैं- कार्यकर्ता, विचारधारा और कार्यालय। इसका मतलब है कि वो कार्यकर्ता का महत्व समझते हैं, विचाराधार के प्रतिबद्ध हैं और कार्यालय की कीमत जानते हैं। शाह बहुत ही कम उम्र से राजनीति में दिलचस्पी रखते थे। जब वो नौ साल के थे, तो उन्होंने कौटिल्य के अर्थशास्त्र को पढ़ा। राजनीति में शाह यह साबित किया कि उनके लिए ‘चाणक्य’ शब्द का प्रयोग करना सही है।

अध्यक्ष बनने के बाद हिंदी पट्टी में पार्टी के विस्तार के साथ ही उनकी नजर पूर्वोत्तर पर भी लगी हुई थी। जबकि बीजेपी उनसे पहले इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। इसलिए उन्होंने पूर्वोत्तर में भी अपने प्रवास शुरू किए। इनमें ज्यादातर दौरे वो थे, जिनमें वो पार्टी का जमीनी ढांचा मजबूत कर रहे थे या उसे त्रिपुरा जैसे वामपंथ के गढ़ राज्य में पूरी तरह जमीन से ही खड़ा कर रहे थे। त्रिपुरा की जनता में उन्हें सत्ता के खिलाफ आक्रोश दिखा इसलिए उन्होंने इस छोटे से प्रदेश को दो साल में 18 दिन दिए। इसलिए त्रिपुरा और नगालैंड में बीजेपी की कामयाबी को सिर्फ करिश्मा नहीं माना जा सकता। शून्य से सत्ता तक लाने के पीछे शाह की मेहनत और रणनीति ने बड़ा काम किया। वह अगस्‍त 2014 से बीजेपी के अध्‍यक्ष हैं। देश के 21 राज्‍यों में बीजेपी और सहयोगियों की सरकार बनवाने के साथ-साथ उन्‍होंने भाजपा को 10 करोड़ सदस्‍यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने की भी कामयाबी दिलाई है।

शाह की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। एक बच्चे के रूप में उन्होंने भागवत पुराण और महात्मा गांधी के राजनीतिक विचार से प्रेरणा ली। वे आरएसएस से शुरुआती उम्र में शामिल हुए और अहमदाबाद में एक शाखा में उनके गुरु नरेंद्र मोदी से मिले। उन्होंने कुशाभाऊ ठाकरे के तहत लंबे समय तक काम किया और कहा जाता है कि शाह ने वहीं संगठनात्मक कौशल सीखा। एक बूथ स्तर के कार्यकर्ता के रूप में, उन्होंने स्वयं सभी भाजपा कार्यकर्ताओं को हाथ से दर्ज करने की चुनौती को उठाया। उनके अध्यक्षीय कार्यकाल में भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

जो लोग शाह के साथ मिलकर काम करते हैं वे कहते हैं कि वह एक टास्क मास्टर हैं, लेकिन समान रूप से सरल है। राज्य के दौरे के दौरान, वो पार्टी कार्यालय में रहते है और 5 सितारा होटलों में विश्वास नहीं करे हैं। यदि पार्टी कार्यालय में नहीं है, तो वो सरकारी गेस्ट हाउस में रहते हैं। वो एक चार्टर्ड विमान के रूप में कभी भी उपयोग नहीं करते है और कम दूरी की यात्रा सड़क के जरिए जाना पसंद करते हैं।

 

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