लोकसभा 2019: क्या महाराष्ट्र के अंदर बीजेपी 2014 जैसा शानदार प्रदर्शन दोहरा पाएगी?

क्या भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दौरान महाराष्ट्र (Maharashtra) में मिली शानदार जीत को एक बार फिर से दोहरा पाएगी? पांच साल पहले, मोदी की लहर ने पिछले करीब दो दशकों से अहम भूमिका में रही वहां की प्रमुख चार पार्टियों में से बीजेपी को सबसे ऊपर लाकर रख दिया था।

2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भगवा गठबंधन ने महाराष्ट्र की 48 में से 42 सीटों पर जीत दर्ज की (बीजेपी ने 23 सीटें जीती) थी। इस अप्रत्याशित जीत ने तत्कालीन सत्ताधारी दल को सिंगल डिजिट में लाकर रख दिया था। कांग्रेस ने उस राज्य में सिर्फ दो सीटें जीती जहां पर वह सत्ता में थी, जो आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ।

देवेन्द्र फड़णवीस के नेतृत्व में बीजेपी के लिए इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती है पिछली बार की जीत को एक बार फिर से दोहराना। दोनों गठबंधन की तरफ से एक दूसरे खिलाफ उतारे गए उम्मीदवारों में से भगवा गठबंधन के किसी एक प्रत्याशी की हार का मतलब होगा एनडीए की एक सीट कम होना और यूपीए की एक सीट बढ़ना। ऐसे में जब यहां पर चुनाव में करीब डेढ़ महीने बचे हुए हैं, ऐसा लग रहा है कि यह बीजेपी की शुरुआती बढ़त है।

 

भगवा गठबंधन

लोकसभा चुनावों से पहले शिवसेना से पिछले दरवाजे के जरिए बात कर गठबंधन करना बीजेपी के लिए बड़ी रणनीतिक जीत मानी जा रही है। त्रिशंकु मुकाबले से बचकर बीजेपी ने जहां एक एक तरफ वोटों का विभाजन से रोक दिया तो वहीं दूसरी तरफ होनेवाले किसी तरह के संभावित नुकसान, खासकर शहरी क्षेत्र के नुकसान से बीजेपी को राहत मिली है।

एक ओर जहां मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने पहले दिन से ही भगवा गठबंधन का समर्थन किया था, लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण हिंदी भाषी राज्यों में पार्टी के नेतृत्व को गठबंधन की ओर सोचने के लिए मजबूर किया।

बीजेपी के सूत्रों ने बताया- “पहली जीत हमारी ये है कि शिवसेना हमारे साथ खड़ी है। इस चुनाव में, गठबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहा है। इस गठबंधन के बाद हम राज्य में 35 से ज्यादा सीटों पर विजय हासिल करेंगे।”

पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान संबंधों में कड़वाहट के बावजूद बीजेपी और शिवसेना ने इस बात का खाका तैयार कर लिया है कि वह पहले कार्यकर्ताओं के साथ संयुक्त बैठकें और उसके बाद सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करेंगे। ऐसा मना जा रहा है कि वह राज्य में संयुक्त मोर्चा दिखाने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम ला सकते हैं।

 

मोदी, कल्याणकारी योजनाएं

2019 के चुनाव में 2014 जैसी मोदी लहर तो नहीं है, लेकिन चुनावों में पीएम लगातार एक बड़ा फैक्टर बना हुआ है। बीजेपी का चुनाव प्रचार उनके ऊपर ही केन्द्रित रहेगा, जैसे पार्टी ने नारा दिया है- फिर एक बाद मोदी सरकार या मोदी है तो मुमकिन है या फिर मैं भी चौकीदार। यह नारा विपक्ष की तरफ से पीएम के विकल्प नहीं होने के तौर पर पेश किया जा रहा है।

राज्य के मुद्दों को छोड़कर महाराष्ट्र बीजेपी नेताओं का कहना है कि चुनाव इसी पर लड़ा जाएगा। इसके अलावा सरकार का रिपोर्ट कार्ड लोगों के सामने रखा जाएगा। पीएम मोदी खुद राज्य की करीब आधी लोकसभा सीटों पर कई रैलियों को संबोधित करेंगे।