छत्तीसगढ़ में बंपर जीत से उत्साहित राहुल का पूरा जोर अब यहीं, चुनाव के बाद इतनी बार कर चुके हैं यात्रा

पिछले साल के अंत में हुए तीन राज्यों के चुनाव में छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य रहा, जिसने थकी-हारी कांग्रेस में संजीवनी भर दी। कांग्रेस की विजय तो राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी हुई लेकिन छत्तीसगढ़ की जीत कई मायनों में खास रही। यहां कांग्रेस 90 में से 68 सीट जीतकर अप्रत्याशित जीत दर्ज करने में कामयाब रही। देश में मोदी लहर के बाद यह पहली बड़ी जीत है जिससे कांग्रेस बेहद उत्साहित है। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी पूरा जोर छत्तीसगढ़ पर है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सरकारी कर्मचारी, किसान, पिछड़े वर्ग, आदिवासी, अनुसूचित जाति सभी का समर्थन मिला। यह समर्थन एकतरफा रहा। यही कारण है कि 15 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई। अब लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा की मात्र 11 सीटें हैं, लेकिन यहां कांग्रेस की बढ़त का सांकेतिक असर दूसरे प्रदशों में भी जा सकता है। कांग्रेस की यही रणनीति है कि छत्तीसगढ़ में जनता ने जो भरोसा कांग्रेस पर दिखाया है उसे देश में प्रस्तुत किया जाए। यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल बार-बार छत्तीसगढ़ आ रहे हैं।

राहुल शनिवार को बस्तर जा रहे हैं जहां वे लोहंडीगुड़ा में टाटा स्टील प्लांट से प्रभावित किसानों की भूमि लौटाएंगे। इसके साथ ही राज्य सरकार के करोड़ों के विकास कार्यों का शिलान्यास करेंगे। राहुल कोंडागांव में मक्का प्रोसेसिंग प्लांट का भी शिलान्यास करने वाले हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद राहुल गांधी का यह तीसरा दौरा है। राहुल गांधी सबसे पहले 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शपथग्रहण समारोह में आए थे। इसके बाद 28 जनवरी को वे नया रायपुर में किसानों के प्रति आभार प्रकट करने आए। खास बात यह है कि नया रायपुर से ही राहुल गांधी देश के लिए लोकसभा चुनाव का एजेंडा तय कर गए। उन्होंने यहीं से न्यूनतम आय की गारंटी की योजना की घोषणा की जिसका असर देश भर में हुआ। अब वे तीसरी बार आ रहे हैं।

बस्तर में क्या है राहुल के दौरे के मायने 

 

बस्तर संभाग में वैसे तो लोकसभा की सिर्फ दो सीट ही है। लेकिन बस्तर वह जगह है जहां से कांग्रेस-भाजपा दोनों ही चुनाव अभियानों की शुरूआत करते रहे हैं। दरअसल बस्तर आदिवासी बहुल संभाग है। यहां जोर लगाने का असर देश के अन्य आदिवासी इलाकों पर भी पड़ता है। इस बहाने कांग्रेस खुद को आदिवासी, किसान, गरीब हितैषी पार्टी बताना चाहती है।

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