शुक्रवार, 16 मई को नीरज चोपड़ा इतिहास में ऐसे पहले जेवलिन थ्रो एथलीट बने, जिन्होंने 90 मीटर का आंकड़ा पार किया हो. उन्होंने दोहा डायमंड लीग 2025 में 90.23 मीटर दूर भाला फेंककर इतिहास रचा था, जो नीरज चोपड़ा के करियर का बेस्ट थ्रो भी है. इसके बावजूद यह भारतीय एथलीट कोई मेडल क्यों नहीं जीत पाया? इसका जवाब आपको यहां मिलेगा.
नीरज चोपड़ा ने अपने पहले थ्रो में ही 88.44 मीटर दूर भाला फेंकते हुए लीड हासिल कर ली थी. उनका दूसरा थ्रो फाउल रहा, लेकिन तीसरे थ्रो में उन्होंने 90.23 मीटर की दूरी तय कर इतिहास रच डाला था. इस खास उपलब्धि पर अन्य एथलीटों ने भी उन्हें बधाई दी.
डायमंड लीग में मेडल दिए जाने का कोई नियम नहीं है. इसके लिए आपको समझना होगा कि डायमंड लीग आखिर क्या है. डायमंड लीग में 14 अलग-अलग इवेंट करवाए जाते हैं, जहां 16 अलग-अलग खेलों में महिला और पुरुष एथलीट भाग लेते हैं. पहले तीन स्थानों पर रहने वाले एथलीटों को कोई मेडल नहीं मिलता है बल्कि उन्हें पॉइंट्स दिए जाते हैं. इवेंट के आखिरी क्षणों तक नीरज चोपड़ा पहले स्थान पर चल रहे थे, लेकिन जर्मनी के जूलियन वेबर कुछ और ही ठान कर आए थे. जूलियन वेबर ने अपने आखिरी प्रयास में 91.06 मीटर दूर भला फेंककर गोल्ड मेडल अपने नाम किया, जबकि नीरज को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. तीसरे स्थान पर ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स रहे, जिन्होंने 85.64 मीटर दूर भाला फेंका था.
बता दें कि पेरिस ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल विजेता रहे पाकिस्तान के अरशद नदीम ने इस इवेंट में भाग नहीं लिया था. वो एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारियों में जुटे हैं. नीरज चोपड़ा की बात करें तो वो जल्द ही ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ टूर्नामेंट में भाग लेने वाले थे, लेकिन इस इवेंट को भारत-पाक तनाव के कारण आगे स्थगित कर दिया गया था. इससे पहले नीरज चोपड़ा का सर्वश्रेष्ठ थ्रो 89.94 मीटर का था, यह दूरी उन्होंने 2022 में स्टॉकहोम डायमंड लीग में हासिल की थी. इसके अलावा उन्होंने 2024 लुसाने डायमंड लीग में 89.49 मीटर दूर भाला फेंका था.