अखिलेश यादव का 2027 में यूपी में सरकार बनाने का दावा, आखिर कैसे

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से राजनीतिक गरमाने लगी है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अलग तैयारी करती दिख रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ की कोशिश एक बार फिर ध्रुवीकरण और विकास योजनाओं के जरिए प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने की है। वहीं, पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के सहारे अखिलेश यादव 10 साल बाद एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में वापसी की कोशिश करते दिख रहे हैं। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद प्रदेश में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। ऐसे में अखिलेश यादव महाकुंभ की अव्यवस्था और मौतों का मुद्दा उठाकर भाजपा की हिंदुत्व वाली राजनीति को काटने के प्रयास में है। उनकी कोशिश भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी की है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान समाजवादी पार्टी के गठन काल से चले आ रहे माय यानी मुस्लिम-यादव समीकरण से आगे बढ़ते हुए अखिलेश यादव ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समाज को जोड़ने वाली राजनीति शुरू की। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान मुस्लिम और यादव उम्मीदवारों की संख्या में कटौती कर समाजवादी पार्टी ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक उम्मीदवारों पर भरोसा जताया। इसका परिणाम उन्हें ऐतिहासिक सफलता के रूप में देखने को मिला। 1993 में गठित समाजवादी पार्टी का तीन दशक बाद पहली बार 37 लोकसभा सीटों पर जीत मिली। विधानसभा चुनाव 2027 में अखिलेश यादव इसी समीकरण के सहारे, आसरे चुनावी राजनीति को साधने की कोशिश करते दिखेंगे। इसकी तैयारी राज्य स्तर पर शुरू कर दी गई है। मिल्कीपुर विधानसभा सीट में हुए उपचुनाव के दौरान हार मिलने के बाद पिछले दिनों वहां पीडीए पंचायत का आयेाजन हुआ। समाजवादी युवजन सभा की ओर से आयोजित पीडीए पंचायत में दावा किया गया कि प्रदेश की जनता अखिलेश यादव की तरफ उम्मीद से देख रही है। 2027 में अखिलेश यादव फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। नेताओं ने इसके लिए कमर कसने का ऐलान किया।

–सपा अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ सरकार के 10 साल के कार्यकाल के बाद एंटी इनकंबैंसी की उम्मीद कर रहे हैं।
—रोजगार के मुद्दे पर लगातार योगी सरकार को अखिलेश यादव असफल करार दे रहे हैं।
–विधानसभा उपचुनावों में अधिकारियों को सरकार के समर्थन में खड़ा रहने का दावा किया है।
–अखिलेश यादव को उम्मीद है कि विधानसभा चुनाव 2027 में उनके मनपसंद अधिकारियों की तैनाती चुनाव आयोग की ओर से जिलों में की जाएगी।

— पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स के पूरी तरह से सफल होने का भरोसा है।
–महाकुंभ 2025 के दौरान पवित्र त्रिवेणी में स्नान कर उन्होंने खुद को हिंदुत्व के करीब दिखाने की कोशिश की। सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिए वे भाजपा के वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश में हैं।
–अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव 2024 की तर्ज पर सहयोगी दल के वोट बैंक के पूरी तरह से ट्रांसफर होने की उम्मीद है।
–प्रदेश की भाजपा सरकार से नाराज अधिकारी और सरकारी कर्मचारी समाजवादी पार्टी के साथ खड़े हो सकते हैं।
–यूपी में भाजपा के खिलाफ अकेले मोर्चा लेने के कारण विरोधी वोटों के ध्रुवीकरण और आमने-सामने का मुकाबला होने की उम्मीद कर रहे हैं।
–सीएम योगी आदित्यनाथ से अधिक विकास योजनाओं और विजनरी नेता होने का दावा कर खुद को जनता के बीच पॉपुलर बनाने और अधिक समर्थन मिलने की उम्मीद है।