बिहार विधानसभा चुनाव में अभी तो 8 महीने का समय बचा है. लेकिन, राजनीतिक दलों ने अभी से ही चुनावी की तैयारी शुरू कर दी है. इसके साथ ही गठबंधन के अलग-अलग दलों सीटों को लेकर अपनी डिमांड भी सामने रखने लगे हैं. इसी क्रम में एनडीए (NDA) की अहम सहयोगी हिंदुस्तानी आवमी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी विधानसभा चुनाव में 20 सीटों की डिमांड पेश कर दी है. हालांकि जीतन राम मांझी की इस डिमांड पर अब बीजेपी की तरफ से प्रतिक्रिया भी सामने आ गयी है. अब ऐसे में एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग को लेकर खलबली मची हुई है. दरअसल इस मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल की तरफ से जो जवाब दिया है उससे ऐसा लगता है कि एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग को लेकर अभी भी तालमेल में बहुत कमी है.
दरअसल जीतन राम मांझी के डिमांड पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि सबकुछ पहले ही तय हो चुका है. दरअसल दिलीप जायसवाल से जब जीतन राम मांझी की सीटों की डिमांड को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि अब कुछ नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि सीट भी तय हो गई है और फार्मूला भी. अब ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि जब एनडीए के अंदर सब कुछ पहले से तय हो गया है तो मांझी फिर से डिमांड क्यों कर रहे हैं. यानि कहीं यह मांझी की प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो नहीं है. जीतन राम मांझी के पुराने रिकॉर्ड की बात करें तो पहले भी वह इसी तरह अधिक सीटों पर अपनी डिमांड पेश करते रहे हैं. हालांकि बाद में एनडीए के बड़े नेताओं के मनाने पर मान भी जाते हैं.
क्या NDA के अंदर सब ठीक-ठाक ?
हालांकि इस बीच बड़ा सवाल यह भी है कि क्या सच में एनडीए के अंदर सीटों को लेकर बातचीत फाइनल हो गयी है. दिलीप जायसवाल ने जो बयान दिया है उससे तो ऐसा ही लगता है कि एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग पर चर्चा हो चुकी है और अगर चर्चा हो चुकी है तो एनडीए के अंदर सीटों का फॉर्मूला क्या होगा. बता दें, विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए के अंदर जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 4 सीटों पर जीत हासिल की थी. लेकिन, इस बार एनडीए के साथ चिराग पासवान भी हैं. ऐसे में अगर मांझी सीटों की डिमांड करते हैं निश्चित तौर पर एनडीए के अंदर मतभेद की स्थिति बन सकती है.
चिराग ने 137 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था. पिछले चुनाव में एलजेपी ने 137 सीटों पर चुनाव लड़ा था. हालांकि चिराग पासवान की पार्टी सिर्फ एक सीट पर चुनाव जीत सकी थी. लेकिन, एलजेपी के 9 उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. पिछले चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी की वजह से जेडीयू को बड़ा नुकसान हुआ था. एलजेपी ने बीजेपी के बागी नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा था. इस बार चिराग एनडीए के साथ हैं. ऐसे में वह भी मांझी से काम सीट पर चुनाव लड़ेंगे ऐसी संभावना कम ही दिखती है.
चिराग पासवान को मिलेंगी कितनी सीटें?
अब ऐसे में देखना यह होगा कि एनडीए के अंदर इस बार किसका पलड़ा भारी रहता है, क्यों कि जीतन राम मांझी और चिराग पासवान दोनों एनडीए के अहम सहयोगी हैं. दोनों ही मोदी के केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा हैं और दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव की बता करें तो चिराग पासवान की लोजपा रामविलास के नाम 100 परसेंट का स्ट्राइक रेट रहा है. हालांकि बीते विधानसभा चुनाव की बात करें तो जीतन राम मांझी का पलड़ा भारी रहा है और उनकी पार्टी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी.
क्या था 2020 में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग के फॉर्मूले की बात करें तो जेडीयू और बीजेपी लगभग बराबर की सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी. हालांकि पिछले चुनाव में जेडीयू को काफी निराशा हाथ लगी और जेडीयू सिर्फ 42 सीट ही जीत पायी थी. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए एनडीए के अंदर जेडीयू 115, बीजेपी 112, वीआईपी 9 और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा 7 वाले फॉर्मूले पर सीट शेयरिंग की गयी थी.