महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाले महाविकास आघाडी (MVA) से समाजवादी पार्टी के अलग होने की आंच क्या उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी, इसको लेकर सियासी कयास तेज हो गए हैं। सपा ने जिस तरह से महाविकास आघाडी से अलग होने का फैसला लिया है और यूपी में जिस तरह से सपा नेता कांग्रेस पर हमलावर हैं, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र की तरह यूपी में भी सपा अलग राह पकड़ सकती है या फिर इंडी गठबंधन की जिम्मेदारी कांग्रेस के बजाय किसी अन्य दल के नेता के पास जा सकती है। अखिलेश यादव कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन में भी नहीं शामिल हो रहे हैं। संसद में तो उन्होंने कांग्रेस से किनारा भी कर लिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद एक बार फिर कांग्रेस को लेकर इंडी गठबंधन के सहयोगी दल हमलावर हो गए हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बयान के बाद अब सपा ने भी कांग्रेस पर हमला बोला है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर सवाल खड़े किए हैं। रामगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अगर अच्छा प्रदर्शन करती तो आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री न बन पाते। उन्होंने कहा कि चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, कांग्रेस कहीं अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाई है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में चार सीटें हार गई। कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार है, वहां भी आधी सीटें हार गए। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का परफॉर्मेंस ठीक हो जाता तो आज मोदी प्रधानमंत्री नहीं होते।सपा महासचिव ने भले ही कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर सवाल उठाए हों, मगर इंडी गठबंधन को लेकर उन्होंने साफ किया कि गठबंधन है, ठीक है और रहना भी चाहिए। बिना गठबंधन के इन तिकड़मी लोगों को हराया नहीं जा सकता है।
कांग्रेस को लेकर सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने भी हमला बोला है। आईपी सिंह ने एक्स पर लिखा कि ‘इन्होंने जिद कर ली है कि ये अब नहीं सुधरेंगे। जनता ने, विपक्षी दलों ने बहुत अवसर दिया इनमें नेतृत्व का घोर अभाव है।’ महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी ने महाविकास आघाडी से अलग होने का फैसला लिया है। सपा ने उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना (यूबीटी) की ओर से ‘हिंदुत्व के मुद्दे’ पर जोर देने से नाराज है, इसलिए गठबंधन से अलग होने का फैसला लिया है। अडाणी मुद्दे को जहां कांग्रेस की ओर से उठाया जा रहा है तो वहीं समाजवादी पार्टी खुलकर इस मुद्दे पर उसके साथ खड़ी नहीं दिख रही है। कांग्रेस सांसदों के विरोध प्रदर्शन में भी सपा के सांसद नजर नहीं आए। यूपी उपचुनाव में ही दोनों के बीच कड़वाहट देखने को मिली थी। अब संभल मुद्दे पर सपा को कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल भी रास नहीं आया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल जाने की कोशिश सपा को रास नहीं आई। सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि कांग्रेस संसद में संभल मुद्दे को उठा नहीं रही और राहुल गांधी संभल जा रहे हैं। टीएमसी सवाल खड़े कर रही है तो वहीं अरविंद केजरीवाल भी पुरानी राह पर लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा हुई, लेकिन गठबंधन नहीं हुआ। जब नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो कांग्रेस पर सवाल उठे। कांग्रेस को इंडी गठबंधन के दूसरे दलों ने नसीहत दी कि अगर साथी दलों को मिलाकर लड़े होते तो नतीजे कुछ बेहतर होते। पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से पहले ही यह ऐलान कर दिया गया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा और पार्टी अकेले लड़ेगी।