12 नवंबर 2024 बामूताबिक 9 जमादि अव्वल 1446 हिजरी को खानकाहे करीमियां आस्ताने अशरफिया सलोन में रूहानी 347 वा उर्स में गागर की रस्म मनाई गई । गागर की ये रस्म महबूहे इलाही हसरत निजामुद्दीन औलिया र.अ. से होते हुए ताजुल औलिया हजरत पीर अब्दुल करीम मानिकपुर तक ये रस्म पहुंची और उनके बाद उनके जानशीन शैखुल इस्लाम हजरत शाह पीर मोहम्मद सलोनवी र.अ. ने इस रस्म को अपने पीरो मुर्शीद पीर अब्दुल करीम मानिकपुर नक्शे कदम पर चलते हुए इस महफिल को अपनी शानो शौकत से मनाते रहे । और ये रस्म आज हजरत शाह मोहम्मद खालिद अता मियां साहब और हजरत शाह मुहम्मद अशरफ अता मियां साहब इमामे सलोन अपने जड़ आला की रस्म को याद करते हुए उसी शानो शौकत के साथ गागर की रस्म को मनाया।
इसी मौके पर हमारे मौजूदा मियां साहब ने बहुत ही अच्छे अंदाज से गागर की रस्म के बारे में जायरीन को बताया । इस मौके पर मौजूदा मियां साहब ने निजामी गागर की जियारत कराई और और गागर का पानी जायरीन को तखसीम किया। ये वही कूजा है जो हजरत निजामुद्दीन औलिया से होते हुए जिंदा वली हिंद आलीमे जलील मुहद्दीसे कबीर साबिक शाही इमाम हजरत शाह मुहम्मद शब्बीर मियां साहब तक पहुंचा और आज इस कूज़ा को हमारे मौजूदा मियां साहब ने जायरीन को जियारत करवाई।
हजरत शाह मुहम्मद अशरफ अता मियां साहब इमामे सलोन ने वतने अजीज हिंदुस्तान के लिए अमन और सुकून की दुआएं की और यहां पर रहने वाले हर कौम को शाना ब शाना चलने की दुआएं की ।
आए हुए तमाम जायरीन ने मियां साहब की जियारत की और मियां साहब से दुआएं ली। मैं तबरेज आलम नईमी मियां साहब का शैदायी इस महफिल में शिरकत करके शरफ्याब हुआ और मैं तमाम अहले वतन को मुबारकबाद पेश करता हूं। इस अल्लाह के जिक्र की महफिल को अल्लाह पाक कुबूल फरमाए अमीन। उर्स की कुछ तस्वीर और उर्स की वीडियो मैं अहले वतन की खिदमत में पेश कर रहा हु। जो अहले हक है वो अहले हक के पास आएंगे मुराद अपनी वो अल्लाह के हुक्म से पाएंगे।