अपनी बेटी की शादी से जुड़े मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्वमंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं होगी। अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य से जुड़े वैवाहिक विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। न्यायाधीश एमएम सुंदरेश और न्यायाधीश अरविंद कुमार की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है। खुद को संघमित्रा का पति बताने वाले दीपक कुमार स्वर्णकार की ओर दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ स्वामी प्रसाद मौर्य ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। इससे पहले विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने स्वामी प्रसाद और संघमित्रा मौर्य को एक युवक के शोषण और धमकी देने के मामले में फरार घोषित कर दिया था। साथ ही गैर जमानती वारंट जारी किया था।
आखिर क्या था मामला: सुशांत गोल्फ सिटी के रहने वाले वादी दीपक कुमार स्वर्णकार ने आरोप लगाया था कि वादी और संघमित्रा वर्ष 2016 से लिव इन रिलेशन में रह रहे थे। कहा गया कि संघमित्रा और स्वामी प्रसाद मौर्य ने वादी को बताया कि संघमित्रा का पहले पति से तलाक़ हो गया है। लिहाज़ा वादी ने 3 जनवरी 2019 को संघमित्रा से उसके घर पर शादी कर ली। वहीं संघमित्रा ने 2019 के चुनाव में शपथपत्र देकर ख़ुद को अविवाहित बताया। बाद में वादी को पता चला की संघमित्रा का मई 2021 में तलाक़ हुआ था। आगे कहा गया कि जब वादी ने वर्ष 2021 में विधि विधान से विवाह करने के लिए कहा तो आरोपी स्वामीप्रसाद मौर्या ने वादी के ऊपर कई बार विभिन्न स्थानों पर अन्य आरोपियों से जानलेवा हमला कराया। मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने स्वामी प्रसाद मौर्य और संघमित्रा मौर्य के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।