शेख हसीना और उनके सहयोगी के देश छोड़ने पर बड़ा खुलासा, इस वजह से जल्दबाजी में भागे सब

बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को लेकर असमंजस बनी हुई है, क्योंकि हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शन के कारण करीब 450 लोगों ने अपनी जान गवां दी है। वहीं देश में स्थिति बद से बदतर होने के कारण देश की प्रधानमंत्री रही शेख हसीना ने आनन-फानन में अपने सहयोगी के साथ देश छोड़ दिया। हालांकि इसके कुछ देर बाद ही उनके प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की खबर सामने आयी। जिसके साथ ही देश में राजनीतिक संकट भी व्याप्त हो गया। वहीं शेख हसीना के अचानक से देश छोड़ने का फैसला करने के मामले में अब बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी के मुताबिक अपने देश को छोड़ने के लिए मजबूर हुईं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना और उनके सहयोगियों को खुद को बचाने के लिए भागना पड़ा और इस दौरान तो कई ज्यादातर सदस्यों को भारत जाते समय अपने साथ जरूरी सामान ले जाने का भी समय नहीं मिला।

शेख हसीना, उनकी बहन शेख रेहाना और अन्य सहयोगी सोमवार को ढाका से बांग्लादेश वायुसेना के सी-130 जे परिवहन विमान से भारत पहुंचीं। सूत्रों ने बताया कि उनके दल के सभी सदस्य जल्दबाजी में भारत आए क्योंकि उनमें से कई लोग तो अपने साथ अपने कपड़े या हर दिन इस्तेमाल करने वाली वस्तुएं भी नहीं ला सके थे। उन्होंने कहा कि दल के साथ तैनात भारतीय प्रोटोकॉल अधिकारियों ने शेख हसीना के साथ कई सदस्यों को कपड़े और अन्य सामान खरीदने में मदद की।

सूत्रों ने बताया कि शेख हसीना के साथ आए कुछ सदस्य पिछले कुछ दिनों में अपने देश में देखे गए अनुभव और दृश्यों के कारण सदमे की स्थिति में थे। सूत्रों ने कहा कि बांग्लादेश के सबसे प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार की दो बहनों के सहयोगियों की संख्या दोहरे अंकों में है और वे उनके साथ भारत पहुंचीं। वहीं भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल लगातार अधिकारियों के संपर्क में थे और दिल्ली पहुंचते ही शेख हसीना से मिले।

उन्होंने बताया कि टीम को तत्काल मदद मुहैया कराई गई और दिल्ली में सुरक्षित घरों में ले जाया गया। बांग्लादेश में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर शेख हसीना ने 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो गई है। बता दें कि सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों ने देखते-ही-देखते सरकार विरोधी प्रदर्शनों का रूप ले लिया है।