पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के रहने वाले आसिफ़ बशीर ने इस साल हज के दौरान सऊदी अरब में एक वॉलेंटियर के रूप में काम किया. इस साल हज के दौरान भीषण गर्मी में सैकड़ों हाजियों की मौत हो गई. आसिफ़ बशीर ने तेज़ गर्मी से प्रभावित और बीमार हाजियों की देखरेख का फ़ैसला किया. इस साल हज के दौरान तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था. आशिफ़ बशीर ने जिन हाजियों की जान बचाई उनमें से अधिकतर भारतीय थे. भारत सरकार ने भी उनकी ईमानदारी, बहादुरी और मानवता की भावना के लिए उन्हें धन्यवाद कहा है. आसिफ़ बशीर को लिखे पत्र में भारत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, ”आपकी वजह से मीना में भारतीय नागरिकों सहित कई लोगों की जान बची. आपकी बहादुरी को हमेशा याद रखा जाएगा और कई लोग आपके नक़्शे क़दम पर चलेंगे.”
आसिफ़ बशीर के मुताबिक़, सऊदी अरब में भारत के महावाणिज्य दूतावास के दूत ने उनसे कहा है कि वो उन्हें भारत के ‘जीवन रक्षा’ पुरस्कार के लिए नामित भी करेंगे. आसिफ़ बशीर ने कहा कि हज के दौरान उनका काम पाकिस्तान से जाने वाले हाजियों का मार्गदर्शन करना था. लेकिन हज के दौरान पड़ी भीषण गर्मी के दौरान उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें प्रभावित लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. आसिफ़ बताते हैं, ”हज के महीने की 10 तारीख़ को जब हाजी शैतान को कंकड़ मारकर लौट रहे थे तब मौसम बहुत गर्म था. उस दिन मैंने कई लाशें देखीं, इतनी लाशों को देखकर पहले मेरे हाथ-पांव फूल गए, लेकिन फिर मैंने और मेरे साथ काम कर रहे दूसरे वॉलेंटियर्स ने लोगों की जान बचाने का फ़ैसला किया.”
उस वक़्त को याद करते हुए आसिफ़ कहते हैं, “मैंने देखा कई हाजी बेहोश हो रहे हैं. हमने मिलकर उनकी जांच शुरू की, जिन लोगों की सांसें चल रहीं थीं हम उन्हें लेकर अस्पताल ले जाने लगे, कुछ लोगों को हम व्हीलचेयर पर अस्पताल लेकर गए तो कुछ को कंधों पर उठाकर.” आसिफ़ बशीर के मुताबिक़, उस दिन उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर 26 हाजियों को अस्पताल पहुंचाया. इन 26 में से नौ लोगों की मौत हो गई जबकि 17 को बचा लिया गया. इन हाजियों में 16 भारत के नागरिक थे जबकि एक पाकिस्तानी मूल के ब्रितानी नागरिक थे. आसिफ़ बताते हैं कि जब वो बेहोश हाजियों को अस्पताल ले जा रहे थे, तब उन्होंने ये नहीं देखा कि कौन हाजी किस देश का नागरिक है.