(द दस्तक 24 न्यूज़) , आख़िरकार शिक्षकों की एकजुटता के सामने भाजपा सरकार को ‘डिजिटल अटेंडेंस’ का अपना अतार्किक निर्णय स्थगित करना ही पड़ा। भाजपा सरकार को अब ये समझ आ गया होगा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज़ ही सबसे बड़ा आदेश होती है न कि सत्ता की मनमर्ज़ी। शिक्षकों को इस नैतिक विजय के लिए बधाई!
शिक्षकों पर अविश्वास जताकर भाजपा सरकार ने साबित कर दिया है कि न तो वो शिक्षा का सम्मान करती है, न शिक्षकों का। भाजपा ने अध्यापकों का भरोसा खो दिया है। आशा है इस निर्णय के पीछे विधानसभा के आगामी उपचुनाव में भाजपा की हार का डर कारण नहीं है और उपचुनावों के बाद ये मनमाना आदेश फिर से लागू नहीं होगा।
एक शिक्षक परिवार से होने के नाते हम शिक्षकों का दर्द भी समझते हैं और उनकी सही माँगों और एकता की ताक़त को भी। हम सदैव शिक्षकों के साथ हैं। ‘डिजिटल अटेंडेंस’ का आदेश स्थगित नहीं, रद्द होना चाहिए।